ट्रंप का नया निर्णय: फेंटेनाइल को सामूहिक विनाश का हथियार घोषित करने की तैयारी
नई दिल्ली में ट्रंप का विवादास्पद निर्णय
नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया निर्णय ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। ट्रंप प्रशासन फेंटेनाइल और इसके कच्चे रसायनों को सामूहिक विनाश के हथियार के रूप में मान्यता देने की योजना बना रहा है। इस कदम के बाद यह आशंका जताई जा रही है कि अमेरिका वेनेजुएला के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कर सकता है। विशेषज्ञ इस निर्णय की तुलना इराक युद्ध से पहले की गई रणनीति से कर रहे हैं।
ट्रंप का बयान और प्रशासन की रणनीति
सोमवार को व्हाइट हाउस में एक कार्यक्रम के दौरान, ट्रंप ने कहा कि अमेरिका के दुश्मन जानबूझकर फेंटेनाइल की तस्करी कर रहे हैं, जिससे अमेरिकी नागरिकों को नुकसान हो रहा है। उन्होंने इसे अमेरिका को कमजोर करने की एक साजिश बताया। ट्रंप ने एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर करने की बात कही, जिसके तहत फेंटेनाइल को WMD की श्रेणी में रखा जाएगा।
ट्रंप प्रशासन का उद्देश्य क्या है?
ट्रंप प्रशासन ने पहले ही ड्रग तस्करों और कार्टेल को नार्को आतंकवादी घोषित किया है। कई लैटिन अमेरिकी ड्रग कार्टेल्स को विदेशी आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल किया गया है। प्रशासन का कहना है कि ये संगठन केवल मुनाफे के लिए नहीं, बल्कि अमेरिका को अस्थिर करने के लिए काम कर रहे हैं। नए आदेश के तहत संघीय एजेंसियों को अवैध फेंटेनाइल और उसके प्रीकर्सर केमिकल्स को समाप्त करने के लिए मिलकर कार्रवाई करने के निर्देश दिए जाएंगे।
क्या यह रणनीति पहले भी अपनाई गई थी?
हालांकि अमेरिकी कानून के अनुसार राष्ट्रपति अकेले WMD की कानूनी परिभाषा नहीं बदल सकते, फिर भी विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की भाषा राजनीतिक और सैन्य हस्तक्षेप का आधार बन सकती है। यह रणनीति 2003 में इराक युद्ध से पहले भी अपनाई गई थी, जब सद्दाम हुसैन पर सामूहिक विनाश के हथियार रखने का आरोप लगाया गया था।
ट्रंप की चेतावनी
फेंटेनाइल के मुद्दे पर अमेरिका पहले ही मैक्सिको और चीन पर दबाव बढ़ा चुका है। टैरिफ बढ़ाने और समुद्री क्षेत्रों में सैन्य कार्रवाई जैसे कदम उठाए गए हैं। मानवाधिकार संगठनों ने इन कार्रवाइयों पर सवाल उठाए हैं। इसी बीच, ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अमेरिका वेनेजुएला में जमीन पर भी कार्रवाई कर सकता है।
विशेषज्ञों की राय
लैटिन अमेरिका के विशेषज्ञ इस दावे को खारिज कर रहे हैं। वॉशिंगटन ऑफिस ऑन लैटिन अमेरिका के विशेषज्ञ जॉन वॉल्श ने कहा कि वेनेजुएला या दक्षिण अमेरिका फेंटेनाइल का मुख्य स्रोत नहीं है। आलोचकों का मानना है कि इस तरह की नीति से अमेरिका और वेनेजुएला के बीच टकराव बढ़ सकता है और इतिहास खुद को दोहरा सकता है।
