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डोनाल्ड ट्रंप की एच-1बी वीजा नीति पर अदालत का बड़ा फैसला: तकनीकी कंपनियों को झटका

अमेरिकी संघीय अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एच-1बी वीजा पर 100,000 डॉलर का शुल्क लगाने की नीति को वैध ठहराया है। इस निर्णय ने तकनीकी कंपनियों और विदेशी कुशल श्रमिकों को बड़ा झटका दिया है। अदालत ने कहा कि ट्रंप को यह शुल्क लगाने का अधिकार है, जिससे कंपनियों को वैश्विक प्रतिभा की कमी का सामना करना पड़ सकता है। इस नीति के तहत नए नियम फरवरी 2026 से लागू होंगे, जो उच्च वेतन और कुशल उम्मीदवारों को प्राथमिकता देंगे। आगे की कानूनी लड़ाई जारी है, जिससे स्थिति और भी जटिल हो सकती है।
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डोनाल्ड ट्रंप की एच-1बी वीजा नीति पर अदालत का बड़ा फैसला: तकनीकी कंपनियों को झटका

अमेरिकी अदालत का निर्णय


अमेरिकी संघीय अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीजा पर 100,000 डॉलर का शुल्क लगाने की नीति को मान्यता दी है। यह निर्णय दिसंबर 2025 में आया और इससे तकनीकी कंपनियों तथा विदेशी कुशल श्रमिकों को बड़ा झटका लगा है।


अदालत का निर्णय

वाशिंगटन डीसी की जिला न्यायाधीश बेरिल हॉवेल ने स्पष्ट किया कि ट्रंप को आव्रजन कानून के तहत यह शुल्क लगाने का अधिकार है। कांग्रेस ने राष्ट्रपति को आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में व्यापक शक्तियां प्रदान की हैं।


यह शुल्क सितंबर 2025 में लागू किया गया था और नए एच-1बी आवेदनों पर लागू होगा। पहले शुल्क 2,000 से 5,000 डॉलर के बीच था। न्यायाधीश ने यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स की याचिका को खारिज कर दिया।


कंपनियों और व्यवसायों पर प्रभाव

तकनीकी दिग्गज जैसे अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और मेटा इस कार्यक्रम पर निर्भर हैं। पिछले वर्ष अमेजन को सबसे अधिक वीजा मिले थे। चैंबर ऑफ कॉमर्स ने चेतावनी दी है कि यह महंगा शुल्क छोटी कंपनियों, अस्पतालों और विश्वविद्यालयों के लिए समस्याएं उत्पन्न करेगा।


इससे नौकरियों में कमी आ सकती है और सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। उनका कहना है कि यह कार्यक्रम अमेरिकी कंपनियों को वैश्विक प्रतिभा प्रदान करने के लिए बनाया गया था, जिसमें भारत से सबसे अधिक (लगभग 71%) लाभार्थी आते हैं।


एच-1बी कार्यक्रम की जानकारी

यह वीजा अमेरिकी कंपनियों को तकनीकी, इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य और अन्य विशेष क्षेत्रों में विदेशी कुशल श्रमिकों को रखने की अनुमति देता है। हर वर्ष 65,000 सामान्य और 20,000 उच्च डिग्री वाले आवेदकों के लिए वीजा जारी किए जाते हैं।


ट्रंप प्रशासन का मानना है कि यह शुल्क दुरुपयोग को रोकने में मदद करेगा और अमेरिकी कर्मचारियों की जगह विदेशी श्रमिकों को नहीं लेने देगा। इससे कंपनियां केवल आवश्यक और उच्च कुशल लोगों को ही नियुक्त करेंगी।


लॉटरी प्रणाली में परिवर्तन

ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी की पुरानी रैंडम लॉटरी प्रणाली को समाप्त कर दिया है। नया नियम फरवरी 2026 से लागू होगा, जिसमें उच्च वेतन और अधिक कुशल उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाएगी। कम वेतन वाले आवेदनों की संभावना कम हो जाएगी, जिससे शीर्ष प्रतिभाओं को आकर्षित करने का दावा किया गया है।


आगे की कानूनी लड़ाई

यह निर्णय केवल एक मुकदमे का परिणाम है। अन्य मामले, जैसे 20 डेमोक्रेट राज्यों और नर्सिंग एजेंसियों के खिलाफ चल रहे हैं। अपील की संभावना है और मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है। कंपनियां वैश्विक प्रतिभा के नुकसान को लेकर चिंतित हैं, जबकि प्रशासन अमेरिकी नौकरियों को प्राथमिकता दे रहा है। यह नीति आव्रजन सुधार का एक हिस्सा है।