डोनाल्ड ट्रंप के 'नो किंग्स' प्रदर्शनों पर विवादित प्रतिक्रिया

डोनाल्ड ट्रंप का नया विवाद
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से सुर्खियों में जगह बनाई है। हाल ही में, उनके खिलाफ आयोजित 'नो किंग्स' प्रदर्शनों के बाद, ट्रंप ने सोशल मीडिया पर कुछ एआई-निर्मित वीडियो साझा किए हैं, जिनमें वे खुद को 'किंग' के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। इन वीडियो ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है।
वीडियो की विशेषताएँ
पहले वीडियो में, ट्रंप एक सोने के मुकुट के साथ फाइटर जेट उड़ाते हुए दिखाई देते हैं, जो नीचे विरोध कर रही भीड़ पर कथित तौर पर मल गिराते हैं। इस वीडियो में हॉलीवुड फिल्म Top Gun का प्रसिद्ध गाना 'Danger Zone' बजता है। एक अन्य वीडियो में, ट्रंप को व्हाइट हाउस के सामने राजसी पोशाक में खड़ा दिखाया गया है, जबकि बैकग्राउंड में एंड्रिया बोचेली का संगीत सुनाई देता है। ट्रंप के समर्थकों ने इसे राजनीतिक व्यंग्य बताया, जबकि आलोचकों ने इसे 'लोकतंत्र का मजाक' कहा।
प्रदर्शनों का विस्तार
'नो किंग्स' प्रदर्शनों में लगभग 70 लाख लोगों ने भाग लिया, जो अमेरिका के सभी 50 राज्यों में आयोजित किए गए थे। आयोजकों ने इसे लोकतंत्र की रक्षा के लिए शांतिपूर्ण जन-आवाज बताया, जबकि रिपब्लिकन नेताओं ने इसे 'हेट अमेरिका रैली' करार दिया। वॉशिंगटन डीसी में हजारों लोगों ने अमेरिकी संसद भवन के पास 'This is what democracy looks like!' के नारे लगाए।
संघीय सरकार का शटडाउन
इस दौरान, संघीय सरकार का शटडाउन तीसरे हफ्ते में जारी था। प्रदर्शनकारियों ने 'Hey hey, ho ho, Donald Trump has got to go!' जैसे नारे लगाए और अमेरिकी झंडे लहराए। कुछ झंडे उल्टे फहराए गए, जो संकट का प्रतीक माने जाते हैं।
प्रदर्शनों का उद्देश्य
Indivisible नामक प्रगतिशील संगठन की सह-संस्थापक लिया ग्रीनबर्ग ने कहा, 'अमेरिका में राजशाही नहीं है।' न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में आयोजित मुख्य प्रदर्शन में लगभग एक लाख लोग शामिल हुए। पुलिस ने बताया कि इतने बड़े जनसमूह के बावजूद किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। इसी तरह, बोस्टन, फिलाडेल्फिया, अटलांटा, डेनवर, शिकागो और सिएटल में भी हजारों लोग सड़कों पर उतरे।
लोकतंत्र की चुनौतियाँ
विशेषज्ञों का मानना है कि ये प्रदर्शन ट्रंप की नीतियों के प्रति जनता की बढ़ती असंतोष का संकेत हैं। ट्रंप के एआई वीडियो भले ही उनके समर्थकों को मनोरंजक लग रहे हों, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह लोकतंत्र की गंभीर चुनौतियों पर परदा डालने की कोशिश है।