तिब्बत में गिरफ्तारियों और संचार बंदी पर चिंता बढ़ी
तिब्बतियों की बढ़ती चिंताएं
निर्वासन में रह रहे तिब्बती समुदाय ने तिब्बत के एक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियों और संचार के ठप होने को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है.
गिरफ्तारियों का मामला
तिब्बत पॉलिसी इंस्टीट्यूट (TPI) के उप-निदेशक और पर्यावरण शोधकर्ता टेंपा ग्यालत्सेन ने धर्मशाला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पूर्वी तिब्बत के काशी गांव में अवैध सोने की खुदाई के खिलाफ प्रदर्शन करने पर लगभग 80 तिब्बतियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से 7 लोग लापता हैं.
चीनी सुरक्षा बलों की कार्रवाई
स्थानीय लोगों ने 5 नवंबर को अधिकारियों को तिब्बत के खाम ज़ाचुखा जिले के काशी में सोने की खुदाई की सूचना दी थी. इसके बाद 6 नवंबर को जब ग्रामीणों ने खनन का विरोध किया, तो चीनी सुरक्षा बलों ने घर-घर जाकर गिरफ्तारियां शुरू कर दीं. गिरफ्तार व्यक्तियों को पूछताछ के लिए सेरशुल काउंटी ले जाया गया.
संचार का ठप होना
इस दौरान अधिकारियों ने वहां का इंटरनेट और मोबाइल सेवा बंद कर दी, जिससे संचार पूरी तरह से ठप हो गया. इसके अलावा, लोगों की आवाजाही पर भी रोक लगा दी गई, और गांव में भारी संख्या में पुलिस और सेना तैनात की गई.
यातनाओं की रिपोर्ट
स्थानीय लोगों ने गांव की स्थिति को भयावह और तनावपूर्ण बताया है, और वे अपने गिरफ्तार परिजनों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. दिसंबर में मिली जानकारी के अनुसार, हिरासत में लिए गए व्यक्तियों के साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा है, और उन्हें उचित भोजन नहीं दिया जा रहा है.
रिहाई की मांग
तिब्बत एक्शन इंस्टीट्यूट के एशिया कार्यक्रम प्रबंधक और निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्य दोरजी त्सेतेन ने सरकार से सेरशुल काउंटी में निर्दोष तिब्बती नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने चीन से इस क्षेत्र में खनन गतिविधियों को तुरंत रोकने और हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा करने का आग्रह किया.
