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तियानमेन स्क्वायर आंदोलन से जुड़ा नया वीडियो 35 साल बाद सामने आया

चीन के तियानमेन स्क्वायर आंदोलन से जुड़ा एक नया वीडियो 35 साल बाद सामने आया है, जिसमें एक सैन्य अधिकारी ने बताया है कि छात्रों पर गोली चलाने का आदेश क्यों नहीं दिया गया। यह वीडियो उस समय की सैन्य और राजनीतिक रणनीतियों पर नई रोशनी डालता है। अधिकारी के अनुसार, स्थिति अत्यंत संवेदनशील थी और एक गलत कदम देश को गंभीर संकट में डाल सकता था। यह फुटेज तियानमेन स्क्वायर की घटनाओं को समझने का एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है और इसने एक बार फिर दुनिया का ध्यान इस दुखद घटना की ओर खींचा है।
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तियानमेन स्क्वायर आंदोलन से जुड़ा नया वीडियो 35 साल बाद सामने आया

चौंकाने वाला वीडियो सामने आया

चीन से एक नई जानकारी: तियानमेन स्क्वायर आंदोलन से संबंधित एक वीडियो 35 साल बाद जारी किया गया है। इस वीडियो में एक चीनी सैन्य अधिकारी यह स्पष्ट करते हुए दिखाई दे रहे हैं कि 1989 में तियानमेन स्क्वायर में छात्रों पर गोली चलाने का आदेश क्यों नहीं दिया गया। यह फुटेज उस समय की सैन्य रणनीतियों और निर्णयों पर नई रोशनी डालता है।


वीडियो में अधिकारी का बयान

वीडियो में अधिकारी का कहना है कि उस समय तियानमेन स्क्वायर में हजारों छात्र और नागरिक मौजूद थे। यदि सेना ने गोलीबारी की होती, तो लगभग 10,000 छात्रों के घायल या मारे जाने का खतरा था। अधिकारी के अनुसार, स्थिति अत्यंत संवेदनशील थी और एक गलत कदम देश को गंभीर संकट में डाल सकता था। इसलिए, तत्काल गोली चलाने के बजाय अन्य विकल्पों पर विचार किया गया।


नेतृत्व की चुनौती

अधिकारी ने यह भी बताया कि नेतृत्व के सामने सबसे बड़ी चुनौती आंदोलन को समाप्त करना था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव और देश के भीतर संभावित जनाक्रोश को भी ध्यान में रखना आवश्यक था। तियानमेन स्क्वायर में बड़ी संख्या में निहत्थे छात्र लोकतांत्रिक सुधारों की मांग कर रहे थे, जिससे सेना की कार्रवाई से भारी जनहानि हो सकती थी।


वीडियो का महत्व

यह वीडियो उस समय सामने आया है जब चीन में 1989 के तियानमेन आंदोलन पर सार्वजनिक चर्चा अब भी बहुत सीमित है। चीनी सरकार इस घटना से संबंधित अधिकांश रिकॉर्ड और सूचनाओं को गोपनीय मानती रही है। ऐसे में इस वीडियो का लीक होना महत्वपूर्ण माना जा रहा है।


यह फुटेज तियानमेन स्क्वायर की घटनाओं को समझने का एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि उस समय के निर्णय केवल सैन्य नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक दबावों से भी प्रभावित थे। वीडियो ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान तियानमेन स्क्वायर की दुखद यादों की ओर खींच लिया है।