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तुर्की में शांति वार्ता में विवाद: अफगान और पाकिस्तानी प्रतिनिधियों के बीच तनाव

तुर्की के इस्तांबुल में चल रही अफगान-पाक शांति वार्ता विवादों में उलझ गई है। पहले दौर की वार्ता में अस्थायी युद्धविराम पर सहमति बनी थी, लेकिन दूसरे दौर में तनाव बढ़ गया। पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने तालिबान पर टीटीपी को नियंत्रित न करने का आरोप लगाया, जिसके बाद बहस गर्म हो गई। अफगान प्रतिनिधिमंडल ने बैठक छोड़ दी, और तालिबान ने चेतावनी दी कि अगर अफगान भूमि पर कोई हमला हुआ, तो गंभीर परिणाम होंगे। इस स्थिति ने क्षेत्र में नई चिंताओं को जन्म दिया है।
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तुर्की में शांति वार्ता में विवाद: अफगान और पाकिस्तानी प्रतिनिधियों के बीच तनाव

तुर्की में शांति वार्ता का विवाद


नई दिल्ली: तुर्की के इस्तांबुल में 25 अक्टूबर से शुरू हुई शांति वार्ता चार दिनों के भीतर विवादों में उलझ गई। पहले दौर की बातचीत दोहा में हुई थी, जहां अस्थायी युद्धविराम पर सहमति बनी थी। इस्तांबुल में दूसरे दौर की वार्ता का उद्देश्य इस सहमति को स्थायी बनाना और टीटीपी जैसे सशस्त्र समूहों के खिलाफ कार्रवाई के तंत्र पर चर्चा करना था। दोनों पक्षों के बीच मुख्य मुद्दे सीमा पर युद्धविराम, खुफिया साझेदारी और ड्रोन संचालन के नियम थे।


वार्ता का मुख्य फोकस तीन बिंदुओं पर था, जिसमें टीटीपी जैसे समूहों पर कार्रवाई और जानकारी साझा करना शामिल था। सीमा पर स्थायी युद्धविराम की स्थापना भी एक महत्वपूर्ण बिंदु था। इसके अलावा, दोनों पक्षों के बीच हवाई क्षेत्र के उल्लंघन और अमेरिकी ड्रोन हमलों पर गारंटी तय करने की बात भी की गई। दोहा की बैठक के बाद उम्मीद थी कि इस्तांबुल में दोनों पक्ष व्यवहारिक समझ के साथ लौटेंगे, लेकिन तीसरे दिन माहौल बदल गया।


पाकिस्तानी प्रतिनिधि की तीखी टिप्पणी

रिपोर्टों के अनुसार, तीसरे दिन 27 अक्टूबर को बहस गर्म हो गई। इसका कारण मेजर जनरल शहाब असलम द्वारा तालिबान प्रतिनिधियों पर टीटीपी को नियंत्रित न करने का आरोप लगाना था। उन्होंने कहा, 'आपको सभी हिंसक समूहों को बुलाकर नियंत्रित करना चाहिए, अन्यथा हम खुद कार्रवाई करेंगे।'


इसके बाद अफगान पक्ष ने अमेरिकी ड्रोन के मुद्दे को उठाया और दावा किया कि ड्रोन अफगान क्षेत्र में सक्रिय हैं। कतर के राजदूत ने कहा कि उनके पास अमेरिका के साथ समझौता है, इसलिए वे कुछ नहीं कर सकते। इस पर असलम ने कहा, 'हमारे पास भी अमेरिका के साथ समझौता है।'


मध्यस्थों की हैरानी और बहस का रंग

तुर्की और कतर के प्रतिनिधियों ने बीच-बचाव की कई कोशिशें कीं, लेकिन पाकिस्तानी वार्ताकारों के कुछ बयान और रवैया अफगान पक्ष और मध्यस्थों को हैरान करने वाला था। एक अफगान सूत्र ने कहा कि पाकिस्तानी पक्ष ने जिम्मेदारी लेने के बजाय दोषारोपण किया। तालिबान के रेडियो चैनल ने इस व्यवहार को पाकिस्तान की गैर-जिम्मेदाराना बदतमीजी करार दिया।


वार्ता के चौथे दिन सुबह, अफगान प्रतिनिधिमंडल ने बैठक छोड़ दी। तालिबान के रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब ने कड़ा रुख अपनाया और चेतावनी दी कि अगर अफगान भूमि पर एक भी हमला हुआ, तो हम इस्लामाबाद को तबाह कर देंगे। तालिबान ने कहा कि वे शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन पाकिस्तान ने सहयोग नहीं किया। इस चेतावनी ने क्षेत्र में नई चिंताओं को जन्म दिया है।