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थाईलैंड और कंबोडिया के बीच प्रेह विहियर मंदिर विवाद: एक ऐतिहासिक संघर्ष

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच प्रेह विहियर मंदिर को लेकर विवाद दशकों से जारी है। हाल की झड़पों ने इस मुद्दे को फिर से उभारा है, जिसमें दोनों देशों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। मंदिर का ऐतिहासिक महत्व और इसके आसपास के क्षेत्र पर अधिकार को लेकर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के निर्णय भी विवाद को जटिल बनाते हैं। जानिए इस विवाद की जड़ें, हाल की घटनाएं और राजनीतिक प्रभाव क्या हैं।
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थाईलैंड और कंबोडिया के बीच प्रेह विहियर मंदिर विवाद: एक ऐतिहासिक संघर्ष

प्रेह विहियर मंदिर का विवाद


थाईलैंड और कंबोडिया के बीच प्राचीन प्रेह विहियर मंदिर दशकों से विवाद का कारण बना हुआ है। हाल में हुई हवाई हमलों और गोलीबारी ने इस मुद्दे को फिर से ताजा कर दिया है। मंदिर पर अधिकार, पुराने फ्रांसीसी मानचित्रों की व्याख्या और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के निर्णय ने इस विवाद को और जटिल बना दिया है। यह मंदिर न केवल धार्मिक धरोहर है, बल्कि दोनों देशों की राष्ट्रीय पहचान और राजनीतिक प्रतिष्ठा का प्रतीक भी है।


हाल की झड़पों की शुरुआत

थाईलैंड ने आरोप लगाया है कि कंबोडियाई सेना ने सीमा पर गोलीबारी की, जिसमें एक थाई सैनिक की जान गई। इसके जवाब में थाईलैंड ने हवाई हमले किए। दोनों देश एक-दूसरे पर युद्धविराम तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि कुछ महीने पहले अमेरिका की मध्यस्थता से संघर्ष विराम स्थापित किया गया था।


विवाद की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

यह विवाद 1907 के उस फ्रांसीसी मानचित्र से शुरू होता है, जिसमें प्रेह विहियर मंदिर कंबोडिया की सीमा में दर्शाया गया था। थाईलैंड का कहना है कि यह मानचित्र 1904 की संधि के खिलाफ है। यदि दांगरेक पर्वतों की प्राकृतिक जल विभाजक रेखा को आधार माना जाए, तो मंदिर थाईलैंड की सीमा में आता है।


ICJ का निर्णय और अधूरा समाधान

1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने मंदिर पर कंबोडिया का अधिकार मान्यता दी और थाई सैनिकों को वापस लौटने का आदेश दिया। हालांकि, मंदिर के चारों ओर के 4.6 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अधिकार स्पष्ट नहीं हो सका। 2013 में अदालत ने फिर से कंबोडिया के पक्ष में निर्णय दिया, लेकिन सीमा के अन्य विवादों को बातचीत पर छोड़ दिया।


2008 में तनाव का कारण

कंबोडिया ने 2008 में मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया, जिसका थाईलैंड ने विरोध किया। उसे डर था कि इससे आसपास का क्षेत्र कंबोडिया के नियंत्रण में आ जाएगा। इसके बाद दोनों देशों के बीच कई बार हिंसक झड़पें हुईं, जिनमें नागरिकों और सैनिकों की जानें गईं और हजारों लोग विस्थापित हुए।


राजनीतिक प्रभाव

इस मंदिर विवाद ने थाईलैंड की राजनीति पर भी गहरा असर डाला है। हाल के संघर्ष के दौरान थाई प्रधानमंत्री और कंबोडियाई नेता के बीच एक फोन कॉल लीक हुई, जिससे थाई सेना और राजनीतिक दलों में नाराजगी फैल गई। इसके परिणामस्वरूप सरकार अल्पमत में आ गई और अंततः प्रधानमंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।