Newzfatafatlogo

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच भगवान विष्णु की प्रतिमा को लेकर विवाद: जानें क्या है मामला?

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच भगवान विष्णु की मूर्ति को तोड़ने के विवाद ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। थाईलैंड ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई सुरक्षा कारणों से की गई थी, न कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए। भारत ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और दोनों देशों से शांति बनाए रखने की अपील की है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित कूटनीतिक परिणाम।
 | 
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच भगवान विष्णु की प्रतिमा को लेकर विवाद: जानें क्या है मामला?

थाईलैंड का आधिकारिक बयान


नई दिल्ली: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच विवादित सीमा पर भगवान विष्णु की मूर्ति को तोड़ने के मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठे सवालों के बीच थाईलैंड ने एक आधिकारिक बयान जारी किया है। भारत सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के चलते थाई प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं, बल्कि सुरक्षा और क्षेत्र प्रबंधन के लिए की गई थी।


थाईलैंड का दृष्टिकोण

थाई-कंबोडिया सीमा प्रेस केंद्र ने एक बयान में कहा कि जिस मूर्ति को हटाया गया, वह किसी रजिस्टर्ड धार्मिक स्थल का हिस्सा नहीं थी। बयान में यह भी कहा गया कि यह कदम थाईलैंड द्वारा अपने संप्रभु क्षेत्र पर नियंत्रण पुनः स्थापित करने के लिए उठाया गया। थाई अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि इस कार्रवाई का उद्देश्य किसी धर्म या आस्था का अपमान करना नहीं था।


थाईलैंड के अनुसार, सीमा क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर संवेदनशील स्थिति बनी हुई है, इसलिए किसी भी अस्थायी या विवादास्पद ढांचे को हटाना आवश्यक हो गया था। इसी प्रक्रिया में बैकहो लोडर का उपयोग कर मूर्ति को क्षतिग्रस्त किया गया, जिसका वीडियो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।


प्रतिमा का स्थान

रिपोर्ट के अनुसार, प्रेह विहार के प्रवक्ता लिम चानपन्हा ने बताया कि भगवान विष्णु की यह मूर्ति कंबोडिया के आन सेस क्षेत्र में स्थित थी। उन्होंने कहा कि मूर्ति का निर्माण 2014 में किया गया था और यह थाई सीमा से लगभग 100 मीटर की दूरी पर थी। इसे सोमवार को ध्वस्त कर दिया गया।


थाईलैंड ने यह भी कहा कि वह सभी धर्मों और मान्यताओं का सम्मान करता है और यदि इस घटना से किसी को ठेस पहुंची है, तो इसके लिए खेद व्यक्त किया जाता है।


भारत की प्रतिक्रिया

इस घटना पर भारत ने कड़ा रुख अपनाया है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर मूर्ति को तोड़े जाने की निंदा की और इसे अपमानजनक बताया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि किसी भी धार्मिक मूर्ति का नष्ट होना विश्वभर में श्रद्धालुओं की भावनाओं को आहत करता है और ऐसे कृत्य नहीं होने चाहिए।


भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि उसे हाल ही में निर्मित एक हिंदू देवी-देवता की मूर्ति को ध्वस्त किए जाने की जानकारी मिली है, जो थाई-कंबोडिया सीमा विवाद से प्रभावित क्षेत्र में स्थित थी। नई दिल्ली ने दोनों देशों से शांति बनाए रखने और विवाद का समाधान संवाद और कूटनीति के माध्यम से निकालने की अपील की है।


सीमा विवाद का इतिहास

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद कोई नई बात नहीं है। दोनों देशों के बीच झड़पें जुलाई में शुरू हुई थीं। बाद में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहल पर युद्धविराम कराया गया, लेकिन हाल के दिनों में संघर्ष फिर से उभर आया है।


कंबोडिया का आरोप है कि जिस स्थान पर मूर्ति स्थापित थी, वह बौद्ध और हिंदू दोनों अनुयायियों के लिए धार्मिक महत्व रखता है। वहीं, थाईलैंड का दावा है कि यह मूर्ति विवादित क्षेत्र चोंग आन मा में बनाई गई थी और कंबोडियाई सैनिकों ने इसे थाई क्षेत्र पर अवैध रूप से संप्रभुता जताने के लिए स्थापित किया था।


धार्मिक भावनाएं और कूटनीतिक चुनौती

इस घटनाक्रम ने धार्मिक आस्था, क्षेत्रीय संप्रभुता और कूटनीतिक संतुलन को एक बार फिर आमने-सामने ला खड़ा किया है। जहां थाईलैंड इसे सुरक्षा और सीमा प्रबंधन का मामला बता रहा है, वहीं भारत और कंबोडिया जैसे देशों के लिए यह धार्मिक भावनाओं से जुड़ा संवेदनशील विषय बन गया है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोनों देश इस विवाद को किस दिशा में ले जाते हैं और क्या कूटनीतिक बातचीत से तनाव कम हो पाता है या नहीं।