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दक्षिण कोरिया को परमाणु पनडुब्बी तकनीक साझा करेगा अमेरिका

अमेरिका ने दक्षिण कोरिया को परमाणु-संचालित पनडुब्बी बनाने के लिए गोपनीय तकनीक साझा करने का निर्णय लिया है। यह घोषणा ट्रंप और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंग के बीच हुई बैठक के बाद की गई। ली ने अमेरिका के साथ अपने गठबंधन को आधुनिक बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया और रक्षा खर्च बढ़ाने की योजना का उल्लेख किया। जानें इस समझौते के संभावित प्रभाव और क्षेत्रीय सुरक्षा पर इसके प्रभाव के बारे में।
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दक्षिण कोरिया को परमाणु पनडुब्बी तकनीक साझा करेगा अमेरिका

अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच महत्वपूर्ण समझौता

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में घोषणा की कि अमेरिका दक्षिण कोरिया को परमाणु-संचालित पनडुब्बी बनाने के लिए आवश्यक गोपनीय तकनीक प्रदान करेगा। यह जानकारी ट्रंप और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंग के बीच हुई बैठक के बाद सामने आई।


बैठक के दौरान, ली ने कहा कि उनका लक्ष्य अमेरिका के साथ अपने गठबंधन को आधुनिक बनाना है। उन्होंने यह भी बताया कि रक्षा खर्च बढ़ाने की योजना है, जिससे अमेरिका पर वित्तीय दबाव कम हो सके। ली ने अगस्त में हुई बातचीत में परमाणु पनडुब्बियों को लेकर कुछ गलतफहमियों का जिक्र किया।


ली ने स्पष्ट किया कि दक्षिण कोरियाई सरकार परमाणु ईंधन की चाहत रखती है, न कि हथियारों की। उन्होंने यह भी बताया कि डीजल-चालित पनडुब्बियों की सीमाएं हैं, क्योंकि उन्हें नियमित रूप से सतह पर आना पड़ता है, जबकि परमाणु-संचालित पनडुब्बियां लंबे समय तक पानी के भीतर रह सकती हैं। यदि दक्षिण कोरिया के पास ऐसी पनडुब्बियां होंगी, तो यह क्षेत्र में अमेरिका की स्थिति को मजबूत कर सकती हैं।


ट्रंप ने एक अन्य पोस्ट में बताया कि पनडुब्बी का निर्माण अमेरिका के फिली शिपयार्ड में किया जाएगा, जिसे पिछले वर्ष दक्षिण कोरिया के हनह्वा ग्रुप ने खरीदा था। हालांकि, इस परियोजना का आकार और लागत अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन सियोल ने अमेरिका की जहाज निर्माण क्षमता में 150 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया है।


विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी परमाणु पनडुब्बी तकनीक दुनिया की सबसे संवेदनशील और संरक्षित सैन्य तकनीकों में से एक मानी जाती है। यहां तक कि अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए एक समझौते के तहत भी यह तकनीक सीधे तौर पर हस्तांतरित नहीं की गई थी।


यह घोषणा ट्रंप की चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात से पहले की गई है। चीन और उत्तर कोरिया दोनों के पास पहले से ही परमाणु पनडुब्बियां हैं। उत्तर कोरिया ने इस वर्ष मार्च में अपनी पहली परमाणु-संचालित पनडुब्बी का अनावरण किया था, जिसे दक्षिण कोरिया और अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा माना जा रहा है।