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दलाई लामा के उत्तराधिकारी पर चर्चा: भारत और अमेरिका की भूमिका

दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन पर चर्चा तेज हो गई है, खासकर जब उन्होंने अपनी नई किताब में इस विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने का संकेत दिया है। यह मुद्दा न केवल तिब्बती समुदाय के लिए, बल्कि भारत, चीन और अमेरिका जैसे देशों के लिए भी सामरिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। दलाई लामा का कहना है कि उनका उत्तराधिकारी चीन के बाहर जन्म लेगा, जो चीन के लिए एक चुनौती है। इस लेख में हम इस मुद्दे की गहराई में जाएंगे और भारत और अमेरिका की भूमिका पर भी चर्चा करेंगे।
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दलाई लामा के उत्तराधिकारी पर चर्चा: भारत और अमेरिका की भूमिका

दलाई लामा के उत्तराधिकारी की संभावनाएँ

बौद्ध धर्म के प्रमुख दलाई लामा, जो 6 जुलाई 2025 को अपने 90वें जन्मदिन का जश्न मनाने वाले हैं, ने अपनी नई किताब 'Voice for the Voiceless' में संकेत दिया है कि वह इस अवसर पर अपने उत्तराधिकारी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा कर सकते हैं। यह विषय तिब्बती समुदाय के लिए ही नहीं, बल्कि भारत, चीन और अमेरिका जैसे देशों के लिए भी सामरिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।


तिब्बती बौद्ध परंपरा का महत्व

तिब्बती बौद्ध परंपरा के अनुसार, दलाई लामा का चयन पुनर्जन्म की अवधारणा पर आधारित है। जब एक वरिष्ठ बौद्ध भिक्षु का निधन होता है, तो उनकी आत्मा किसी नवजात शिशु में पुनर्जन्म लेती है। वर्तमान दलाई लामा, तेनजिन ग्यात्सो, का जन्म 6 जुलाई 1935 को उत्तरी तिब्बत में हुआ था, और उनका जन्म नाम ल्हामो थोंधुप था।


चीन का दखल और दलाई लामा का बयान

दलाई लामा ने अपनी किताब में स्पष्ट किया है कि उनका उत्तराधिकारी चीन के बाहर जन्म लेगा, संभवतः भारत या किसी अन्य स्वतंत्र देश में। यह बयान चीन के लिए एक चुनौती है, जो दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन का अधिकार केवल अपने पास मानता है। चीन का यह दावा किंग राजवंश की परंपरा पर आधारित है।


चीन और दलाई लामा के अनुयायियों के बीच टकराव

चीन ने दलाई लामा को अलगाववादी करार दिया है और कहा है कि वह तिब्बती जनता का प्रतिनिधित्व करने का कोई अधिकार नहीं रखते। इसके विपरीत, दलाई लामा ने अपने अनुयायियों से अपील की है कि वे चीन द्वारा चुने गए किसी भी उत्तराधिकारी को स्वीकार न करें। निर्वासित तिब्बती संसद के उपाध्यक्ष डोल्मा त्सेरिंग ने कहा कि वैश्विक समुदाय को दलाई लामा की आवाज सुननी चाहिए।


भारत और अमेरिका की भूमिका

दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन न केवल धार्मिक, बल्कि भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। भारत, जहां दलाई लामा 1959 से निर्वासित जीवन जी रहे हैं, तिब्बती समुदाय का एक प्रमुख केंद्र है। अमेरिका ने भी इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाया है, और 2020 के तिब्बती नीति और समर्थन अधिनियम के तहत, अमेरिका ने कहा है कि दलाई लामा के पुनर्जनन में चीनी हस्तक्षेप को धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन माना जाएगा।