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नेपाल के छात्र बिपिन जोशी की बहादुरी और इजरायल में उनकी अंतिम विदाई

नेपाल के छात्र बिपिन जोशी की कहानी एक साहसिकता और बलिदान की मिसाल है। इजरायल में हमास के हमले के दौरान उन्होंने अपने सहपाठियों की जान बचाई, लेकिन अंततः उन्हें बंधक बना लिया गया। हाल ही में, उनके शव को इजरायल से नेपाल लौटाया गया है। जानें उनके साहसिक कार्यों और अंतिम विदाई के बारे में।
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नेपाल के छात्र बिपिन जोशी की बहादुरी और इजरायल में उनकी अंतिम विदाई

बिपिन जोशी का दुखद अंत


बिपिन जोशी: 7 अक्टूबर 2023 को हमास के आतंकियों द्वारा इजरायल पर किए गए हमले के दौरान कई लोगों को बंधक बना लिया गया था, जिनमें नेपाल का एक हिंदू छात्र बिपिन जोशी भी शामिल था। इजरायल और गाजा के बीच दो साल बाद हुए युद्धविराम समझौते के तहत बिपिन का शव इजरायल को वापस भेजा गया है।


बिपिन की बहादुरी की कहानी

बिपिन जोशी, जो नेपाल के एक हिंदू परिवार से थे, ने इस हमले के दौरान अपने कई सहपाठियों की जान बचाने के लिए अद्वितीय साहस दिखाया। वे गाजा सीमा के निकट किबुत्ज़ अलुमिम में एक कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए आए थे, जब यह हमला हुआ और उन्हें बंधक बना लिया गया। उस समय उनकी उम्र केवल 22 वर्ष थी।


इजरायली सैन्य प्रवक्ता की पुष्टि

युद्धविराम समझौते के बाद इजरायल में 20 जीवित बंधकों की वापसी पर जश्न मनाया गया, लेकिन शवों की रिहाई के बाद माहौल में उदासी छा गई। नेपाल के राजदूत धन प्रसाद पंडित ने बताया कि बिपिन के अवशेष इजरायली अधिकारियों को सौंप दिए गए हैं। इजरायली सैन्य प्रवक्ता एफी डेफ्रिन ने भी पुष्टि की कि हमास ने जोशी सहित चार बंधकों के शव लौटाए हैं। उनके पार्थिव शरीर को नेपाल भेजने से पहले डीएनए परीक्षण किया जाएगा। उम्मीद है कि उनका अंतिम संस्कार इजरायल में नेपाली दूतावास के सहयोग से किया जाएगा।


साहसिक कार्यों की सराहना

जब हमले के दौरान छात्रों ने एक बम बंकर में शरण ली, तब बिपिन ने एक जिंदा ग्रेनेड को फेंककर कई लोगों की जान बचाई। इस हमले में 17 में से 10 नेपाली छात्रों की मौत हो गई थी। बंधक बनाए जाने के बाद इजरायली सेना द्वारा जारी किए गए वीडियो में जोशी को गाजा के शिफा अस्पताल में दिखाया गया था। उनकी मां और छोटी बहन पुष्पा ने उनकी रिहाई के लिए कई बार काठमांडू, इजरायल और अमेरिका की यात्रा की। बिपिन 26 अक्टूबर को 25 वर्ष के हो जाते। उन्हें एकमात्र हिंदू और विदेशी छात्र माना जाता था जो अभी भी कैद में जीवित थे, लेकिन इस समझौते के बाद हमास ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।