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नेपाल में कर्फ्यू: प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें

नेपाल में हाल ही में कर्फ्यू लागू किया गया है, जो पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी के कार्यकर्ताओं और जेन-जी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों के बाद हुआ। बारा जिले में यह कर्फ्यू स्थानीय प्रशासन द्वारा सुरक्षा चिंताओं के चलते लगाया गया है। प्रदर्शनकारियों का आंदोलन राजनीतिक असंतोष का प्रतीक बन गया है, जो पारंपरिक राजनीतिक संरचनाओं को चुनौती दे रहा है। जानें इस स्थिति के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित परिणाम।
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नेपाल में कर्फ्यू: प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें

काठमांडू में कर्फ्यू की घोषणा


काठमांडू: नेपाल में अधिकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (यूएमएल) के कार्यकर्ताओं और जेन-जी प्रदर्शनकारियों के बीच हालिया झड़पों के चलते बारा जिले में कर्फ्यू फिर से लागू किया है.


कर्फ्यू का समय और कारण

जिला प्रशासन ने स्थानीय समयानुसार दोपहर 1 बजे से रात 8 बजे तक कर्फ्यू लगाने का आदेश दिया है। यह निर्णय युवाओं द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन के कारण सार्वजनिक सुरक्षा को लेकर चिंताओं के मद्देनजर लिया गया है, जो गुरुवार को लगातार दूसरे दिन जारी रहा.


सिमारा में शुरू हुई अशांति

यह अशांति बुधवार को सिमारा में शुरू हुई, जहां युवा प्रदर्शनकारियों और सीपीएन-यूएमएल कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई। इस टकराव में लगभग एक दर्जन सीपीएन-यूएमएल कार्यकर्ताओं के शामिल होने की खबर है, लेकिन पुलिस ने केवल दो व्यक्तियों को हिरासत में लिया, जिससे जेन-जी कार्यकर्ताओं में निराशा बढ़ गई है.


राजनीतिक असंतोष का प्रतीक

उनका आंदोलन स्थापित राजनीतिक ताकतों के प्रति बढ़ते असंतोष का प्रतीक बन गया है, क्योंकि वे कानून प्रवर्तन एजेंसियों से जवाबदेही और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. विवाद तब बढ़ा जब यह जानकारी मिली कि सीपीएन-यूएमएल के महासचिव शंकर पोखरेल और युवा नेता महेश बसनेत सरकार विरोधी रैली के लिए काठमांडू से सिमारा जा रहे हैं.


हवाई अड्डे पर प्रदर्शन

जैसे ही बुद्ध एयर का विमान उड़ान भरने के लिए तैयार हुआ, प्रदर्शनकारियों ने हवाई अड्डे पर धावा बोल दिया और वहां मौजूद यूएमएल समर्थकों से भिड़ गए. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अधिकारियों ने हवाईअड्डा क्षेत्र में कर्फ्यू लागू किया.


शांति बहाल करने का प्रयास

बारा के जिला मजिस्ट्रेट धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने कहा कि अस्थायी कर्फ्यू का उद्देश्य तनाव को बढ़ने से रोकना और शांति बहाल करना है. हालाँकि, बार-बार होने वाली झड़पें नेपाल में राजनीतिक ध्रुवीकरण और युवा पीढ़ी के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती हैं, जो पारंपरिक पार्टी संरचनाओं को चुनौती दे रही हैं.


सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शन

यह घटना देश में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ हुए हिंसक जनरेशन-जी विरोध प्रदर्शनों के दो महीने बाद हुई है, जिसके परिणामस्वरूप केपी शर्मा ओली की सरकार को उखाड़ फेंका गया था. 8 सितंबर को काठमांडू में जेन-जी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए, जिनमें भ्रष्टाचार और असमानता के प्रति गुस्सा शामिल था.


हिंसा के परिणाम

प्रदर्शन पुलिस के साथ हिंसक झड़पों में बदल गए, जिसमें कम से कम 51 लोग मारे गए और 1,300 से अधिक घायल हुए. एक दिन बाद, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया, जिससे उनकी यूएमएल सरकार गिर गई. कुछ दिनों बाद, नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया, जो इस पद पर आसीन होने वाली पहली महिला बनीं.