न्यूजीलैंड-भारत मुक्त व्यापार समझौता: प्रधानमंत्री लक्सन और विदेश मंत्री पीटर्स के बीच मतभेद
न्यूजीलैंड में मुक्त व्यापार समझौते पर राजनीतिक विवाद
नई दिल्ली: हाल ही में भारत और न्यूजीलैंड के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते (FTA) ने न्यूजीलैंड की राजनीति में मतभेदों को उजागर किया है। प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताया है, जबकि विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने इसकी आलोचना की है। यह समझौता न केवल दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को नया मोड़ देने वाला है, बल्कि न्यूजीलैंड के आंतरिक राजनीतिक संतुलन की भी परीक्षा ले रहा है।
प्रधानमंत्री लक्सन का सकारात्मक दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने शनिवार को भारत के साथ हुए FTA का स्वागत करते हुए इसे अपने पहले कार्यकाल के प्रमुख वादों में से एक बताया। उन्होंने इसे न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक कदम माना, जो रोजगार के नए अवसर, निर्यात में वृद्धि और आय के नए स्रोतों का निर्माण करेगा। लक्सन ने कहा कि भारत जैसे बड़े बाजार तक पहुंच से न्यूजीलैंड के व्यवसायों को दीर्घकालिक लाभ होगा।
सरकार के भीतर मतभेदों का खुलासा
हालांकि, इस समझौते को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन में स्पष्ट मतभेद हैं। न्यूजीलैंड फर्स्ट पार्टी के नेता और विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने इसे स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं माना। उन्होंने आरोप लगाया कि समझौते को जल्दबाजी में अंतिम रूप दिया गया और न्यूजीलैंड के हितों की उचित रक्षा नहीं की गई।
डेयरी उद्योग पर विवाद
पीटर्स की सबसे बड़ी चिंता न्यूजीलैंड के डेयरी क्षेत्र को लेकर है। उनका कहना है कि न्यूजीलैंड ने भारत के लिए अपने बाजार को काफी हद तक खोला है, लेकिन इसके बदले में भारतीय बाजार में न्यूजीलैंड के प्रमुख डेयरी उत्पादों को पर्याप्त पहुंच नहीं मिली। उन्होंने इसे किसानों और ग्रामीण समुदायों के हितों के खिलाफ बताया।
मोदी-लक्सन की वार्ता के बाद समझौते की घोषणा
यह मुक्त व्यापार समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और क्रिस्टोफर लक्सन के बीच उच्चस्तरीय वार्ता के बाद घोषित किया गया। दोनों नेताओं ने उम्मीद जताई कि अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार दोगुना हो सकता है और भारत में अगले 15 वर्षों में लगभग 20 अरब डॉलर का निवेश आने की संभावना है।
रोजगार पर चिंता
पीटर्स ने समझौते के प्रवासन प्रावधानों पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इस करार में भारतीय श्रमिकों को न्यूजीलैंड के श्रम बाजार में अधिक पहुंच दी गई है, जो अन्य साझेदार देशों को नहीं मिली। इससे घरेलू रोजगार के अवसरों पर दबाव बढ़ सकता है, खासकर जब न्यूजीलैंड का श्रम बाजार पहले से ही सीमित है।
वर्तमान आर्थिक संबंध
वर्तमान में भारत और न्यूजीलैंड के बीच वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार लगभग 2 अरब डॉलर से अधिक है। भारत से दवाइयों और न्यूजीलैंड से कृषि एवं वानिकी उत्पादों का निर्यात प्रमुख है। न्यूजीलैंड ओशिनिया क्षेत्र में भारत का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है।
