पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में राजनीतिक संकट: मंत्रियों के इस्तीफे से बढ़ी उथल-पुथल

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoJK) में राजनीतिक उथल-पुथल
पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में राजनीतिक स्थिति गंभीर हो गई है। प्रधानमंत्री चौधरी अनवरुल हक की सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए तीन प्रमुख मंत्रियों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। इन मंत्रियों का कहना है कि सरकार ने न तो स्थानीय निवासियों के अधिकारों की रक्षा की है और न ही पाकिस्तान में रहने वाले 25 लाख से अधिक कश्मीरी शरणार्थियों की आवाज को सुना है।
सूचना मंत्री पीर मजहर सईद ने पहले इस्तीफा दिया, इसके बाद वित्त मंत्री अब्दुल माजिद खान, खाद्य मंत्री चौधरी अकबर इब्राहिम और मंत्री असीम शरीफ भट्ट ने भी अपने पद छोड़ दिए। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, इन नेताओं ने प्रधानमंत्री हक पर संवैधानिक और राजनीतिक अधिकारों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है।
12 सीटों को खत्म करने की मांग
मंत्रियों ने कहा कि सरकार हाल की अशांति को संभालने में असफल रही है और कश्मीरी शरणार्थियों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। अब्दुल माजिद खान ने अपने त्यागपत्र में कहा कि वे पाकिस्तान के साथ विलय के सिद्धांत के प्रति वफादार हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर जॉइंट एक्शन कमेटी (JAAC) द्वारा शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 सीटों को खत्म करने की मांग पूरी तरह अवैध और विभाजनकारी है।
खाद्य मंत्री चौधरी अकबर इब्राहिम ने भी अपने बयान में कहा कि शरणार्थी केवल राजनीतिक आंकड़े नहीं हैं, बल्कि वे देशभक्त पाकिस्तानी हैं जिन्होंने दशकों से विभाजन की पीड़ा झेली है। उन्होंने कहा कि चौधरी अनवरुल हक के नेतृत्व में सरकार में रहना 'अब असंभव' हो गया है।
राजनीतिक अधिकारों की बहाली की मांग
दोनों मंत्रियों ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी कि लाखों विस्थापित कश्मीरी खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं और अपने राजनीतिक अधिकारों की बहाली चाहते हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि इन इस्तीफों ने PoJK की राजनीति में एक बड़ा संकट उत्पन्न कर दिया है। यदि संघीय सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करती है, तो चौधरी अनवरुल हक की सरकार पर खतरा और बढ़ सकता है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह घटनाक्रम आने वाले दिनों में PoJK की सत्ता समीकरणों को गहराई से प्रभावित कर सकता है।
मंत्रियों के अनुसार, सरकार और संघीय समझौते शरणार्थियों की सहमति के बिना किए गए हैं, जिससे उनके संवैधानिक अधिकार कमजोर हो रहे हैं। इससे न केवल राजनीतिक असंतुलन बढ़ा है बल्कि PoJK में असंतोष की नई लहर भी उठ खड़ी हुई है।