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पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के निजीकरण में नई बाधाएं

पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) के निजीकरण की प्रक्रिया को एक नया झटका लगा है, जब सेना प्रमुख आसिम मुनीर द्वारा समर्थित कंपनी ने बोली प्रक्रिया से हटने का निर्णय लिया। अब केवल तीन बोलीदाता बचे हैं, और नीलामी 23 दिसंबर को प्रस्तावित है। सरकार का मानना है कि निजीकरण से PIA का वित्तीय बोझ कम होगा। हालांकि, बढ़ते कर्ज और संचालन संबंधी समस्याओं के कारण निवेशकों की रुचि सीमित रही है। जानें इस प्रक्रिया में और क्या चुनौतियाँ सामने आ रही हैं।
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पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के निजीकरण में नई बाधाएं

नई दिल्ली में PIA के निजीकरण की स्थिति


नई दिल्ली: घाटे में चल रही पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) के निजीकरण की प्रक्रिया को एक और बड़ा झटका लगा है। सेना प्रमुख आसिम मुनीर द्वारा समर्थित कंपनी के बाहर होने से सरकार की योजना पर सवाल उठने लगे हैं। यह प्रक्रिया लंबे समय से रुकी हुई है और इसे पाकिस्तान सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार के रूप में देखा जा रहा है।


बोलीदाता की संख्या में कमी

पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, फौजी फर्टिलाइजर कंपनी लिमिटेड के हटने के बाद अब PIA के लिए केवल तीन बोलीदाता बचे हैं। इनमें लकी सीमेंट लिमिटेड, हब पावर होल्डिंग्स लिमिटेड, कोहाट सीमेंट कंपनी लिमिटेड और मेट्रो वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड का समूह शामिल है। इसके अलावा, आरिफ हबीब कॉर्पोरेशन लिमिटेड, फातिमा फर्टिलाइजर कंपनी लिमिटेड, सिटी स्कूल्स प्राइवेट लिमिटेड और लेक सिटी होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड का एक कंसोर्टियम भी बोली में शामिल है। निजी एयरलाइन एयर ब्लू प्राइवेट लिमिटेड भी इस दौड़ में बनी हुई है।


नीलामी की तारीख

PIA की नीलामी 23 दिसंबर को होने वाली है। पाकिस्तान सरकार इस घाटे में चल रही एयरलाइन को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से प्राप्त 7 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज की शर्तों के तहत बेचना चाहती है। सरकार को उम्मीद है कि निजीकरण से न केवल PIA का वित्तीय बोझ कम होगा, बल्कि एविएशन सेक्टर में सुधार भी आएगा।


फौजी फर्टिलाइजर कंपनी का निर्णय

प्राइवेटाइजेशन कमीशन के चेयरमैन मुहम्मद अली ने बताया कि फौजी फर्टिलाइजर कंपनी लिमिटेड ने बोली प्रक्रिया से हटने का निर्णय लिया है। यह कंपनी फौजी फाउंडेशन के अधीन है, जिसका प्रबंधन पाकिस्तानी सशस्त्र बल करते हैं। इस निर्णय को निजीकरण प्रक्रिया के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि इससे निवेशकों का विश्वास प्रभावित हो सकता है।


हिस्सेदारी का विवरण

जो भी बोलीदाता PIA की नीलामी में सफल होता है, उसे एयरलाइन में 75 प्रतिशत हिस्सेदारी मिलेगी। इस हिस्सेदारी में से लगभग 92.5 प्रतिशत PIA को जाएगा, जबकि लगभग 7.5 प्रतिशत हिस्सा पाकिस्तानी सरकार के पास रहेगा। सरकार अपने पास 25 प्रतिशत हिस्सेदारी बनाए रखेगी, लेकिन सफल बोलीदाता को भुगतान के बाद इस बची हुई हिस्सेदारी को खरीदने का विकल्प भी दिया जाएगा।


PIA के निजीकरण में चुनौतियाँ

पाकिस्तान सरकार लंबे समय से PIA में अपनी हिस्सेदारी बेचने का प्रयास कर रही है, लेकिन बढ़ते कर्ज और संचालन संबंधी समस्याओं के कारण निवेशकों की रुचि सीमित रही है। रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान में एविएशन सेक्टर का GDP में योगदान केवल 1.3 प्रतिशत है, जो काफी कम है।


पिछले वर्ष भी सरकार ने PIA को बेचने का प्रयास किया था, लेकिन तब केवल एक ही कंपनी ने बोली लगाई थी, जो सरकार की तय सीमा से काफी कम थी। निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सरकार ने बाद में PIA का कर्ज घटाया, नए विमानों की खरीद पर सेल्स टैक्स में छूट दी और कुछ कानूनी व टैक्स संबंधी दावों से राहत प्रदान की। इसके बावजूद, निजीकरण की राह अभी भी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।