पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ता तनाव: तालिबान के साथ संबंधों की जटिलता

पाकिस्तान-अफगानिस्तान संबंधों में तनाव
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव: हाल ही में एक घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव कितनी गंभीरता से बढ़ रहा है। इस घटना में, पाकिस्तान के अधिकारियों को अफगानिस्तान में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, खुफिया प्रमुख असीम मलिक और दो अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को वीजा देने से इनकार कर दिया गया है।
अफगानिस्तान ने इन पाक अधिकारियों के वीजा अनुरोधों को तीन दिन में तीन बार अस्वीकृत किया है। अफगान प्रसारक टोलोन्यूज़ के अनुसार, यह कदम दोनों देशों के बीच बिगड़ते संबंधों को दर्शाता है। यह तनाव सीमा पर हुई गोलीबारी के बाद और बढ़ गया है।
दावों का खेल
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव तब बढ़ा जब काबुल में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से जुड़े एक आतंकवादी को निशाना बनाकर पाकिस्तानी हवाई हमले किए गए। इस्लामाबाद ने तालिबान प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वह पाकिस्तान में हमले की योजना बना रहे आतंकवादियों को सुरक्षित ठिकाना दे रहा है। दूसरी ओर, काबुल ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। अफगान अधिकारियों का कहना है कि उनके क्षेत्र का उपयोग पड़ोसी देशों के खिलाफ नहीं किया जा रहा है।
अफगान अधिकारियों का यह भी कहना है कि पाकिस्तान ने इस्लामिक स्टेट की खुरासान शाखा (आईएसआईएस-के) के नेताओं को पनाह दी है और उन्होंने उन्हें तालिबान सरकार को सौंपने की मांग की है। अफगानिस्तान का दावा है कि सीमा पर हुई झड़प में 58 सैनिक मारे गए हैं। काबुल में एक संवाददाता सम्मेलन में, सरकारी प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने बताया कि नौ तालिबान लड़ाके भी मारे गए। वहीं, पाकिस्तानी सेना के अनुसार, उनके 23 सैनिक और तालिबान के 200 से अधिक लड़ाके मारे गए।
संवाद की आवश्यकता
अफगानिस्तान का दृष्टिकोण: अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने स्थिति को नियंत्रण में बताया है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान किसी भी संघर्ष से बचना चाहता है और सभी पड़ोसी देशों के साथ सकारात्मक संबंध बनाए रखना चाहता है। नई दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए, मुत्ताकी ने कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है, बल्कि संवाद की आवश्यकता है, और यही उनकी नीति है।