पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ता तनाव: नूर वाली महसूद की भूमिका

पाकिस्तान का नया दुश्मन
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हाल के वर्षों में सबसे गंभीर संघर्ष में नूर वाली महसूद का नाम प्रमुखता से उभरा है। टीटीपी का यह नेता अफगानिस्तान में छिपा हुआ है और पाकिस्तान में लगातार हमले करवा रहा है। हाल ही में काबुल में हुए हवाई हमले में उसे निशाना बनाया गया, लेकिन वह बच निकला। अफगान तालिबान पाकिस्तान पर आईएसआईएस को शरण देने का आरोप लगाता है। महसूद ने टीटीपी को पुनर्जीवित किया है, लेकिन पाकिस्तान में इसकी कोई खास लोकप्रियता नहीं है।
पाक-अफगानिस्तान तनाव की चरम सीमा
दक्षिण एशिया के दो पड़ोसी देशों के बीच तनाव अब अपने चरम पर पहुंच चुका है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर लगातार गोलीबारी ने पुराने घावों को फिर से उभार दिया है। इस संघर्ष का केंद्र नूर वाली महसूद है, जिसे पाकिस्तान अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है। वह अफगान मिट्टी से पाकिस्तानी सेना पर हमले की योजना बना रहा है। हालिया काबुल हवाई हमला इसकी एक मिसाल है। यह कहानी केवल सीमा विवाद की नहीं, बल्कि विचारधारा और राष्ट्रीयता के संघर्ष की भी है।
टीटीपी का पुनर्निर्माण
नूर वाली महसूद ने 2018 में टीटीपी की कमान संभाली, जब उसके तीन पूर्ववर्ती अमेरिकी ड्रोन हमलों में मारे गए थे। पाकिस्तानी सेना के अभियानों ने संगठन को उसके गढ़ों से बाहर धकेल दिया था, लेकिन महसूद ने इसे अफगानिस्तान में रहकर फिर से जीवित किया। धार्मिक विद्वान के रूप में प्रशिक्षित यह सरगना कूटनीतिक चालाकी से गुटों को एकजुट करने में सफल रहा। अफगान तालिबान के 2021 में सत्ता में आने के बाद टीटीपी को हथियारों और संगठन का विस्तार करने में सहूलियत मिली। टीटीपी के हमले मुख्य रूप से सेना और पुलिस पर केंद्रित हैं, क्योंकि महसूद जानता है कि नागरिकों पर हमले से पाकिस्तान में घृणा बढ़ती है। इस साल जारी एक दुर्लभ वीडियो में उसने पाकिस्तानी सेना को इस्लाम-विरोधी करार दिया और जनरलों पर 78 साल से लोगों का अपहरण करने का आरोप लगाया।
पश्तून समुदाय का मसीहा
महसूद धार्मिक तर्कों को राष्ट्रवाद से जोड़ता है। उसकी कम से कम तीन किताबें हैं, जिनमें 700 पृष्ठों का एक ग्रंथ ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष को टीटीपी विद्रोह का मूल बताता है। विशेषज्ञ अब्दुल सईद के अनुसार, महसूद पश्तून समुदाय की आवाज बनने का दावा करता है, जो पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम और अफगानिस्तान में निवास करता है। वह अफगान तालिबान जैसी सरकार की मांग करता है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि उत्तर-पश्चिम या देश के अन्य हिस्सों में टीटीपी को जनसमर्थन न के बराबर है। पाकिस्तानी सेना का दावा है कि संगठन इस्लाम का अपवित्रकरण करता है और भारत इसका समर्थक है, जिसे नई दिल्ली खारिज करती है।