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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच युद्धविराम पर सहमति, तुर्की की मध्यस्थता

पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने तुर्की की मध्यस्थता में एक महत्वपूर्ण युद्धविराम समझौते पर सहमति जताई है। यह वार्ता इस्तांबुल में हुई, जिसमें दोनों देशों ने शांति बनाए रखने के लिए निगरानी तंत्र स्थापित करने का निर्णय लिया। तालिबान ने इस समझौते की पुष्टि की है, जबकि पाकिस्तान की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। जानें इस संघर्ष की पृष्ठभूमि और आगे की योजनाओं के बारे में।
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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच युद्धविराम पर सहमति, तुर्की की मध्यस्थता

सीमा संघर्षों को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम


नई दिल्ली: तुर्की की मध्यस्थता में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच लंबे समय से चल रहे सीमा संघर्षों को समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। दोनों देशों ने इस्तांबुल में हुई वार्ता के बाद युद्धविराम पर सहमति व्यक्त की है। तुर्की के विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह बैठक 25 से 30 अक्टूबर 2025 के बीच तुर्की और कतर की मध्यस्थता में आयोजित की गई। अगली बैठक 6 नवंबर को इस्तांबुल में होगी, जिसमें युद्धविराम के कार्यान्वयन की रूपरेखा पर चर्चा की जाएगी।


शांति बनाए रखने के लिए निगरानी तंत्र

तुर्की के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान ने शांति बनाए रखने और उल्लंघन करने वाले पक्ष पर दंड लागू करने के लिए निगरानी और सत्यापन तंत्र स्थापित करने पर सहमति जताई है। बयान में यह भी उल्लेख किया गया कि कतर और तुर्की ने दोनों देशों के सक्रिय सहयोग की सराहना की है और स्थायी शांति व स्थिरता के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई है।


युद्धविराम समझौते की पुष्टि

किसने की युद्धविराम समझौते की पुष्टि?


अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने युद्धविराम समझौते की पुष्टि की है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि अफगानिस्तान पाकिस्तान के साथ 'पारस्परिक सम्मान और गैर-हस्तक्षेप' के आधार पर अच्छे संबंध चाहता है। हालांकि, पाकिस्तान सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।


संघर्ष की पृष्ठभूमि

संघर्ष शुरू होने की क्या है वजह?


यह संघर्ष तब शुरू हुआ जब पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में हवाई हमले किए थे। पाकिस्तानी सेना का दावा है कि ये हमले तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के ठिकानों पर किए गए थे। पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान टीटीपी के आतंकवादियों को पनाह दे रहा है, जबकि अफगानिस्तान ने इस आरोप को खारिज किया है।


हस्तक्षेप की आवश्यकता

कतर और तुर्की को क्यों करना पड़ा हस्तक्षेप?


सीमा पर हुए संघर्षों में कई लोगों की जान गई और सैकड़ों लोग विस्थापित हुए। इस स्थिति में कतर और तुर्की को हस्तक्षेप करना पड़ा। इससे पहले अक्टूबर के मध्य में दोहा में भी दोनों देशों के बीच युद्धविराम पर सहमति बनी थी, लेकिन वह समझौता विफल हो गया था। इस बीच, पाकिस्तानी सेना ने दावा किया है कि उसने खैबर पख्तूनख्वा के बाजौर जिले में चार टीटीपी आतंकवादियों को मार गिराया है, जिनमें संगठन का उप प्रमुख अमजद भी शामिल है। सेना ने बताया कि ये आतंकवादी अफगानिस्तान से घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे।