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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीजफायर पर सहमति, कतर की भूमिका महत्वपूर्ण

पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने हाल ही में एक तत्काल सीजफायर पर सहमति जताई है, जो कतर और तुर्किये की मध्यस्थता में हुआ। इस समझौते का उद्देश्य सीमा पर स्थायी शांति स्थापित करना है। हाल के संघर्षों के बीच, यह कदम दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कतर ने इसे अपनी कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा है। आगे की फॉलो-अप मीटिंग्स भी आयोजित की जाएंगी।
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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीजफायर पर सहमति, कतर की भूमिका महत्वपूर्ण

सीजफायर की घोषणा

पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने शनिवार को एक तत्काल सीजफायर पर सहमति जताई है। कतर के विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में एक बयान जारी किया, जिसमें बताया गया कि यह समझौता कतर और तुर्किये की मध्यस्थता में दोहा में हुई वार्ता के दौरान हुआ। बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने 9 अक्टूबर से जारी संघर्ष को समाप्त करने और सीमा पर स्थायी शांति एवं स्थिरता स्थापित करने के लिए उपायों पर चर्चा की।


कतर की कूटनीतिक सफलता


कतर ने इस समझौते को एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक उपलब्धि बताया है, जो पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर तनाव को कम करने में सहायक होगा और क्षेत्र में दीर्घकालिक शांति की नींव रखेगा। विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच फॉलो-अप मीटिंग आयोजित की जाएगी, ताकि संघर्षविराम को स्थायी और प्रभावी बनाया जा सके।


पिछले हमले की पृष्ठभूमि

इससे पहले, शुक्रवार को पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में एक एयर स्ट्राइक की थी, जिसमें 17 लोगों की जान चली गई थी। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मृतकों में तीन अफगान क्रिकेटर भी शामिल थे। यह हमले उर्गुन और बर्मल जिलों के रिहायशी क्षेत्रों में हुए। इससे पहले, 15 अक्टूबर को 48 घंटे का सीजफायर लागू हुआ था, जो 17 अक्टूबर की शाम को समाप्त हो गया। हालांकि, इसे आगे बढ़ाने पर सहमति बनी थी, लेकिन कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने फिर से हमला किया।


क्रिकेट सीरीज पर प्रभाव

हमले के बाद, अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने नवंबर में पाकिस्तान में होने वाली ट्राई-टी-20 सीरीज से अपना नाम वापस ले लिया। यह मुकाबले 17 और 23 नवंबर को आयोजित होने थे। यह पहली बार होता जब अफगानिस्तान पाकिस्तान की धरती पर उसके खिलाफ खेलता। कतर की मध्यस्थता से हुआ यह समझौता दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।