पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच गुप्त सैन्य वार्ता: भारत के लिए नई चुनौतियाँ

पाकिस्तान-बांग्लादेश गुप्त सैन्य वार्ता
पाकिस्तान-बांग्लादेश गुप्त सैन्य वार्ता: भारत के खुफिया सूत्रों ने एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है, जिसमें पाकिस्तान वायु सेना (PAF) और बांग्लादेश वायु सेना (BAF) के बीच एक गुप्त सैन्य चर्चा का खुलासा हुआ है। यह वार्ता 15 से 19 अप्रैल 2025 के बीच हुई थी और यह पहली बार उच्च-स्तरीय खुफिया लीक के माध्यम से सामने आई। इस बैठक में दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों ने ड्रोन युद्ध, साइबर युद्ध, अंतरिक्ष अभियानों और अन्य सुरक्षा मुद्दों पर गहन चर्चा की, जो भारत के लिए चिंता का विषय बन गई है। यह सैन्य सहयोग दोनों देशों के बीच तेजी से बढ़ रहा है और भारत की सुरक्षा रणनीति को प्रभावित कर सकता है। पाकिस्तान द्वारा बांग्लादेश को ड्रोन युद्ध और साइबर सुरक्षा प्रणालियों के संचालन से संबंधित जानकारी देने के प्रयास, दक्षिण एशिया के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं।
पाक-बांग्लादेश सैन्य सहयोग
पाक-बांग्लादेश सैन्य सहयोग: पाकिस्तानी वायुसेना प्रमुख और बांग्लादेश सशस्त्र बलों के शीर्ष अधिकारियों के बीच गुप्त बातचीत का खुलासा हुआ है। यह चर्चा केवल विमानन तकनीकों तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसमें ड्रोन युद्ध, सामरिक संचार, अंतरिक्ष मिशन, साइबर युद्ध और राजनीतिक रणनीतियों जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी गहन चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार, मुख्य ध्यान 'मॉड्यूलर और मानवरहित मिशन प्रशिक्षकों' (MUMT–UMT) के संयुक्त विकास पर था, जो स्वायत्त वायु युद्ध प्रणालियों और ड्रोनों की निगरानी के लिए महत्वपूर्ण उपकरण हैं।
सामरिक वायु डेटा लिंक प्रणाली का इंटीग्रेशन
सामरिक वायु डेटा लिंक प्रणाली का इंटीग्रेशन: एक और महत्वपूर्ण पहलू सामरिक वायु डेटा लिंक प्रणाली (Tactical Air Data Link System) है, जिसे पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सहयोगात्मक प्रयासों के तहत एकीकृत किया जा रहा है। इसका उपयोग जमीनी और वायु संचालन के लिए किया जाएगा। इस प्रणाली के लागू होने से बांग्लादेश की वायु सेना की अंतरक्रियाशीलता और हमले समन्वय क्षमता में वृद्धि हो सकती है, जो भारत की पूर्वी वायु कमान के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकती है।
अंतरिक्ष, साइबर और कृत्रिम युद्ध
अंतरिक्ष, साइबर और कृत्रिम युद्ध: लीक से यह भी पता चला है कि दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष और साइबर युद्ध पर गहन चर्चा हुई है। इसमें तीसरे पक्ष के सलाहकारों, जैसे कि चीन के पीएलए सामरिक सहायता बल की भूमिका का संकेत भी मिलता है। इन वार्ताओं में उपग्रह-आधारित टोही और ISR (Intelligence, Surveillance, and Reconnaissance) क्षमताओं के विकास पर चर्चा हुई है, जो भविष्य में दोनों देशों के सैन्य सहयोग को और मजबूत कर सकते हैं।
पाकिस्तान-बांग्लादेश सैन्य गठजोड़
पाकिस्तान-बांग्लादेश सैन्य गठजोड़: इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों ही देश फ्लाइट एसआरएनएल-आधारित संवर्धित वास्तविकता (AR) और आभासी वास्तविकता (VR) प्रणालियों पर काम कर रहे हैं, जिनका उद्देश्य युद्ध के वास्तविक वातावरण का सटीक अनुकरण करना है। ये प्रणालियाँ सिलहट स्थित बीएएफ के विशेष युद्ध प्रशिक्षण स्कूल के लिए अनुकूलित की जा रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह सहयोग विशेष रूप से दोनों देशों की संयुक्त ड्रोन-रोधी तकनीकों और साइबर सुरक्षा प्रणालियों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
राजनीतिक उठा-पटक और हथियारों का स्थानांतरण
राजनीतिक उठा-पटक और हथियारों का स्थानांतरण: सबसे अधिक चिंता का विषय यह है कि इन गुप्त बैठकों में बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को हटाने के बारे में चर्चाएं भी हुईं। सूत्रों का कहना है कि ढाका में पाकिस्तान के रक्षा अताशे विंग ने सेवानिवृत्त आईएसआई अधिकारियों के सहयोग से एक संभावित तख्तापलट की योजना पर चर्चा की थी। इस चर्चा का उद्देश्य शहाबुद्दीन की जगह किसी सैन्य समर्थक व्यक्ति को लाने का था। इसके अलावा, एक और चिंताजनक पहलू यह है कि बांग्लादेश की विशेष 1 पैरा कमांडो बटालियन को अमेरिकी सरकार की धारा 333 के तहत प्राप्त आतंकवाद-रोधी सहायता हथियारों का स्थानांतरण किया गया है, जो अब पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षण और सीमा-पार क्षमता वृद्धि के लिए इस्तेमाल हो सकते हैं।
निष्कर्ष
पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच यह गुप्त सैन्य सहयोग एक नए दौर में प्रवेश कर चुका है। ड्रोन तकनीक, डिजिटल युद्ध, और राजनीतिक जोड़-तोड़ के बीच भारत को अपनी पूर्वी कूटनीति और रक्षा रणनीति में नए सिरे से बदलाव की आवश्यकता होगी। यह गुप्त सहयोग न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है, बल्कि भारत की रणनीतिक तैयारियों को भी चुनौती दे सकता है।