पाकिस्तान की अमेरिका यात्रा: गाजा संकट पर महत्वपूर्ण चर्चा
पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व की चुनौती
नई दिल्ली: पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व के समक्ष एक बार फिर एक कठिन निर्णय खड़ा है। अमेरिका गाजा संकट के संदर्भ में इस्लामाबाद से सैनिक सहायता की अपेक्षा कर रहा है, जबकि देश के अंदर पहले से ही स्थिति संवेदनशील बनी हुई है। ऐसे में आसिम मुनीर की प्रस्तावित अमेरिका यात्रा को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियाँ
यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब पाकिस्तान आर्थिक दबाव, राजनीतिक अस्थिरता और जन असंतोष का सामना कर रहा है। किसी भी बाहरी सैन्य मिशन का प्रभाव सीधे तौर पर देश की आंतरिक राजनीति और सुरक्षा पर पड़ सकता है।
अमेरिका की योजना और पाकिस्तान की भूमिका
सूत्रों के अनुसार, ट्रंप प्रशासन गाजा के लिए 20 बिंदुओं की योजना पर कार्य कर रहा है। इसका उद्देश्य हमास जैसे चरमपंथी संगठनों को कमजोर करना और क्षेत्र में स्थिरता लाना है। अमेरिका चाहता है कि मुस्लिम देशों की सेनाएं इस प्रयास का हिस्सा बनें, और पाकिस्तान को उसकी सैन्य और संस्थागत क्षमताओं के कारण एक महत्वपूर्ण कड़ी माना जा रहा है।
पाकिस्तान में संभावित विरोध
विश्लेषकों का मानना है कि गाजा में सैनिक भेजने का निर्णय पाकिस्तान में बड़ा विवाद उत्पन्न कर सकता है। फिलिस्तीन समर्थक और इजरायल विरोधी भावनाएँ पहले से ही मजबूत हैं। ऐसे मिशन में शामिल होने से सरकार और सेना के खिलाफ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन बढ़ सकते हैं, जो पहले से ही अस्थिर स्थिति को और जटिल बना देंगे।
ट्रंप और मुनीर के संबंध
आसिम मुनीर और डोनाल्ड ट्रंप के बीच हाल के महीनों में संबंधों में नजदीकी आई है। जून में ट्रंप ने मुनीर को व्हाइट हाउस में एक निजी भोज के लिए आमंत्रित किया था, जिसे दोनों देशों के बीच विश्वास की नई शुरुआत के रूप में देखा गया। अमेरिका पाकिस्तान में निवेश और सुरक्षा सहयोग को फिर से शुरू करने के संकेत भी दे रहा है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
अटलांटिक काउंसिल के माइकल कुगेलमैन का कहना है कि यदि पाकिस्तान अमेरिकी योजना से पीछे हटता है, तो वाशिंगटन में निराशा बढ़ सकती है, जिसका असर आर्थिक और सैन्य सहयोग पर पड़ सकता है। वहीं, रक्षा विश्लेषक आयशा सिद्दीका का मानना है कि पाकिस्तान की सैन्य क्षमता ट्रंप को आकर्षित करती है।
सरकारी प्रतिक्रिया का अभाव
पाकिस्तानी सेना और विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, विदेश मंत्री इशाक डार पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि शांति मिशन पर विचार किया जा सकता है, लेकिन हमास को निरस्त्र करना पाकिस्तान की जिम्मेदारी नहीं है। आने वाले दिनों में मुनीर की बातचीत पाकिस्तान की दिशा को निर्धारित कर सकती है।
