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पाकिस्तान की राजनीति में असीम मुनीर की भूमिका पर उठे सवाल

पाकिस्तान का राजनीतिक परिदृश्य एक बार फिर से अस्थिरता की ओर बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के सलाहकार राणा सनाउल्लाह ने सेना प्रमुख असीम मुनीर की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मुनीर का कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है और वह सेवानिवृत्ति के बाद सीधे घर लौटेंगे। यह बयान पाकिस्तान की राजनीति में व्याप्त अविश्वास को भी उजागर करता है, जहां राजनीतिक प्रतिशोध का प्रभाव हमेशा बना रहता है।
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पाकिस्तान की राजनीति में असीम मुनीर की भूमिका पर उठे सवाल

पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर का राजनीतिक भविष्य


पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर: पाकिस्तान का राजनीतिक माहौल एक बार फिर अस्थिर दिखाई दे रहा है। प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के सलाहकार राणा सनाउल्लाह ख़ान ने सेना प्रमुख फ़ील्ड मार्शल असीम मुनीर के भविष्य के बारे में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि इस प्रभावशाली जनरल की कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है। एक पाकिस्तानी चैनल पर दिए गए साक्षात्कार में, सनाउल्लाह ने स्पष्ट किया कि "मुनीर सेवानिवृत्ति के बाद सीधे अपने घर लौटेंगे और न तो प्रधानमंत्री आवास और न ही राष्ट्रपति भवन उनका ठिकाना होगा।"


हालांकि, राणा सनाउल्लाह का यह बयान मुनीर की राजनीतिक आकांक्षाओं की अफवाहों को समाप्त करने के लिए था, लेकिन इसने पाकिस्तान के नागरिक-सैन्य संतुलन की समस्याओं को भी उजागर किया है, जो हमेशा से पाकिस्तानी लोकतंत्र के लिए चुनौती रही है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कई बार मुनीर पर राजनीतिक शक्ति की चाह रखने का आरोप लगाया है, और शायद इसी कारण से, सनाउल्लाह ने मुनीर का बचाव करते हुए आलोचकों को जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि "सेना प्रमुख का कोई व्यक्तिगत एजेंडा नहीं है।"


पाकिस्तान की राजनीति में अविश्वास का संकेत

पाकिस्तान की राजनीति में व्याप्त गहरे अविश्वास को रेखांकित करती है सनाउल्लाह की ये टिप्पणी


सनाउल्लाह की यह टिप्पणी पाकिस्तान की राजनीति में गहरे अविश्वास को भी दर्शाती है। अक्सर पाकिस्तानी नेता सेना के बारे में सावधानी से बोलते हैं, अन्यथा उन्हें अपनी कुर्सी खोने का डर रहता है। प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के सलाहकार राणा सनाउल्लाह ख़ान का यह कहना कि 'सेना प्रमुख का कोई एजेंडा नहीं है', यह दर्शाता है कि सेना राजनीतिक मामलों में कितनी गहराई तक शामिल है।


राजनीतिक प्रतिशोध का प्रभाव

पाकिस्तान में शासन पर हावी होता रहा है राजनीतिक प्रतिशोध


सनाउल्लाह ने राजनीतिक दलों के बीच तनाव को कम करने का प्रयास करते हुए कहा कि "दोनों दल दुश्मन नहीं हैं। पीपीपी के साथ कोई समस्या नहीं है। दोनों दलों ने कई बार मिलकर काम किया है। जहां एक दल के मन में कुछ दुश्मनी है, वहीं पीएमएल-एन इसका जवाब नहीं देना चाहती।" लेकिन उनका यह आश्वासन ऐसे देश में खोखला लगता है, जहां गठबंधन रातों-रात बदल जाते हैं और राजनीतिक प्रतिशोध का प्रभाव हमेशा बना रहता है। अलग पाकिस्तान राष्ट्र के निर्माण के बाद से ऐसे कई उदाहरण सामने आ चुके हैं।