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पाकिस्तान की राजनीति में मौलाना फजलुर रहमान का विवादास्पद बयान

पाकिस्तान की राजनीति में मौलाना फजलुर रहमान के हालिया बयान ने हलचल मचा दी है। उन्होंने अपनी सरकार और सेना की नीतियों पर सवाल उठाते हुए अफगानिस्तान में सैन्य कार्रवाइयों की आलोचना की। उनके बयान ने भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' की तुलना करते हुए दोहरे मापदंडों का आरोप लगाया। यह स्थिति पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच आई है, जिससे क्षेत्रीय राजनीति में नई चर्चाएँ शुरू हो गई हैं। जानें इस मुद्दे की गहराई में क्या है।
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पाकिस्तान की राजनीति में मौलाना फजलुर रहमान का विवादास्पद बयान

पाकिस्तान में राजनीतिक हलचल


नई दिल्ली: पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति में अचानक उथल-पुथल मच गई है, जब जमीअत उलेमा-ए-इस्लाम (फजल) के नेता मौलाना फजलुर रहमान ने अपनी सरकार और सेना की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए।


अफगानिस्तान में सैन्य कार्रवाई पर सवाल

उन्होंने अफगानिस्तान में पाकिस्तानी सैन्य कार्रवाइयों की तुलना भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' से करते हुए दोहरे मापदंडों का आरोप लगाया। यह बयान उस समय आया है जब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंध लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं।


काबुल पर हमले और पाक राजनीति में सवाल

कराची में 'मजलिस-ए-इत्तेहाद-ए-उम्मत' सम्मेलन में मौलाना फजलुर रहमान ने अफगानिस्तान में पाकिस्तानी हमलों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इन हमलों में आम नागरिकों की जान गई है। उनका तर्क था कि यदि पाकिस्तान अपने सीमापार हमलों को सही ठहराता है, तो भारत की कार्रवाई पर सवाल उठाना उचित नहीं है।


ऑपरेशन सिंदूर का संदर्भ

मौलाना रहमान ने भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' का उल्लेख किया, जो 7 मई को भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों पर चलाया गया था। इन हमलों में बहावलपुर और मुरिदके जैसे आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को कश्मीर में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे।


दोहरा रवैया या रणनीतिक मजबूरी

फजलुर रहमान ने यह सवाल उठाया कि जब पाकिस्तान अफगानिस्तान में अपने दुश्मनों पर हमले को सही मानता है, तो वही तर्क भारत भी पाकिस्तान के भीतर आतंकियों के खिलाफ दे सकता है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान अब पाकिस्तान पर वही आरोप लगा रहा है, जो पाकिस्तान लंबे समय से दूसरों पर लगाता आया है।


पाक-अफगान तनाव की पृष्ठभूमि

तालिबान के 2021 में सत्ता में लौटने के बाद से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्ते बिगड़ते गए हैं। इस्लामाबाद का आरोप है कि अफगान धरती से पाकिस्तान विरोधी आतंकी गतिविधियां संचालित होती हैं, जबकि काबुल इन आरोपों को खारिज करता रहा है। हालिया सीमा झड़पों ने दोनों देशों के बीच अविश्वास को और बढ़ा दिया है।


भारत की प्रतिक्रिया और क्षेत्रीय संकेत

भारत ने हाल ही में अफगान नागरिकों की मौत पर पाकिस्तान की आलोचना की है। विदेश मंत्रालय ने अफगानिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के समर्थन की बात दोहराई। मौलाना फजलुर रहमान के बयान को क्षेत्रीय राजनीति में एक असामान्य लेकिन महत्वपूर्ण आवाज माना जा रहा है, जो पाकिस्तान के भीतर बढ़ते असंतोष की ओर इशारा करता है।