Newzfatafatlogo

पाकिस्तान की सीक्रेट डील का खुलासा: तालिबान ने उगले राज

पाकिस्तान ने पहली बार यह स्वीकार किया है कि उसने अमेरिका के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत अमेरिकी ड्रोन उसके हवाई क्षेत्र का उपयोग कर सकते हैं। तालिबान ने पाकिस्तान से कई राज उगले हैं, जिसमें यह भी शामिल है कि उसने अपनी जमीन का उपयोग दूसरे देशों पर हमले के लिए दिया है। यह स्थिति पाकिस्तान के लिए गंभीर चुनौती बन गई है, क्योंकि देश के अंदर तालिबान के प्रति समर्थन बढ़ रहा है। जानें इस महत्वपूर्ण वार्ता के बारे में और क्या खुलासे हुए हैं।
 | 
पाकिस्तान की सीक्रेट डील का खुलासा: तालिबान ने उगले राज

पाकिस्तान की स्थिति पर तालिबान का दबाव

दुश्मन को हराना सरल है, लेकिन उसकी गलतियों को उजागर करना कठिन। आज पाकिस्तान के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। भारत यदि चाहे तो पाकिस्तान को एक झटके में समाप्त कर सकता है, लेकिन ऐसा कभी नहीं किया।


हालांकि, तालिबान ने पाकिस्तान से उसकी गुप्त डील्स का सच उगलवा लिया।


यह पहली बार है जब पाकिस्तान ने स्वीकार किया है कि उसने एक विदेशी देश को अपनी भूमि का उपयोग दूसरे देशों पर हमले के लिए दिया है। इसका मतलब है कि पाकिस्तान अब केवल एक देश नहीं, बल्कि एक किराए का एयर बेस बन चुका है। तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में तालिबान और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की बातचीत चल रही थी।


तालिबान के साथ पाकिस्तान की बातचीत

पाकिस्तान किसी भी हाल में इस समझौते को करना चाहता था, क्योंकि तहरीक तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के हमलों से पूरा देश दहशत में है। पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में रोजाना धमाके होते हैं, और यह चिंताजनक है कि वहां की जनता तालिबान के साथ खड़ी है। वे सरकार के बजाय कट्टरपंथियों के प्रति वफादार हैं।


तालिबान ने पाकिस्तान से पूछा कि हाल ही में अफगानिस्तान में हुए ड्रोन हमलों का जिम्मेदार कौन है। पाकिस्तान ने पहले तो बचने की कोशिश की, लेकिन जब तालिबान ने सीज फायर खत्म करने की धमकी दी, तो पाकिस्तान ने कहा कि यह हम नहीं, बल्कि एक विदेशी देश कर रहा है। तालिबान ने पूछा कि कौन सा देश, तो पाकिस्तान ने कहा कि वह नाम नहीं बता सकता, लेकिन उनके बीच एक गुप्त डील हुई है।


अमेरिका के साथ पाकिस्तान का समझौता

पाकिस्तान ने पहली बार यह स्वीकार किया है कि उसके पास अमेरिका के साथ एक ऐसा समझौता है, जिसके तहत अमेरिकी ड्रोन उसके हवाई क्षेत्र का उपयोग कर सकते हैं। अफगान मीडिया TOLOnews के अनुसार, यह खुलासा तुर्की में हुई हालिया पाकिस्तान-अफगानिस्तान शांति वार्ता के दौरान हुआ।


पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने बातचीत में कहा कि वह इस समझौते को तोड़ नहीं सकता, क्योंकि इससे ड्रोन संचालन के लिए वॉशिंगटन से अनुमति मिली हुई है। अफगान वार्ताकारों ने पाकिस्तान से लिखित आश्वासन मांगा कि वह अमेरिकी ड्रोन को अपने हवाई क्षेत्र से अफगानिस्तान पर हमले की अनुमति नहीं देगा। शुरू में पाकिस्तानी दल ने सहमति जताई, लेकिन बाद में इस्लामाबाद से निर्देश मिलने के बाद उसने अपना रुख बदल लिया।


अफगान पक्ष ने दोहराया कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का मुद्दा पूरी तरह पाकिस्तान का आंतरिक मामला है और काबुल अपनी भूमि का उपयोग किसी अन्य देश के खिलाफ नहीं होने देगा।