पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री ने तालिबान से दोस्ती को बताया महंगा
तालिबान से संबंधों पर इशाक डार की टिप्पणी
पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने बुधवार को तालिबान के साथ संबंधों को देश के लिए महंगा बताया। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अफगानिस्तान से जुड़े आतंकवाद के लिए जिम्मेदार ठहराया। डार ने संसद में 2021 की एक घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि जब उस समय के ISI प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद काबुल में थे, तब उन्होंने चाय पीते हुए कहा था कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। डार ने कहा कि उस मीटिंग के कारण आज पाकिस्तान को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।
तालिबान ने 15 अगस्त 2021 को काबुल और पूरे अफगानिस्तान पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था। पहले से ही संदेह था कि पाकिस्तान की सेना और ISI तालिबान को समर्थन दे रही है। सितंबर 2021 में जनरल फैज हामिद ने चुपचाप इस बात को स्वीकार किया था। उन्होंने तालिबान के नेताओं के साथ एक फाइव स्टार होटल में चाय पीते हुए बातचीत की थी।
इस होटल में ब्रिटेन की एक महिला जनरल भी मौजूद थी, जिसने फैज से सवाल पूछे थे। इसके जवाब में फैज ने केवल इतना कहा कि 'ऑल इज वेल'। उप-प्रधानमंत्री ने इमरान खान पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी सरकार के दौरान तालिबान के सत्ता में आने के बाद सीमा खोली गई थी।
इसका परिणाम यह हुआ कि बड़ी संख्या में आतंकवादी पाकिस्तान में घुस आए। पाकिस्तानी-तालिबान, फितना अल-ख्वारिज और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी जैसे समूह अफगानिस्तान से पाकिस्तान पर हमले कर रहे हैं। डार ने बताया कि लगभग 35,000 से 40,000 तालिबानी वापस लौट आए थे, जिन्हें उस समय की सरकार ने रिहा कर दिया था।
इन आतंकियों ने पाकिस्तान के झंडे जलाए और नागरिकों की जान ली थी। बलूचिस्तान में हमले जारी हैं। 2021 में अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से जाने के बाद तालिबान ने पूरे देश पर कब्जा कर लिया था। पाकिस्तान ने तालिबान का समर्थन किया था, जबकि इमरान खान ने इसे गुलामी की जंजीर तोड़ने के रूप में बताया था। हालाँकि, सीमा पर दोनों देशों के बीच झड़पें बढ़ गई हैं। पिछले महीने पाकिस्तान की एयर स्ट्राइक में कई लोग मारे गए थे, जिसके बाद तालिबान ने जवाबी कार्रवाई की। तुर्की और कतर की मध्यस्थता से सीजफायर हुआ था, लेकिन हिंसा पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है।
