पाकिस्तान के नागरिकों का अंतरराष्ट्रीय निर्वासन: एक नई शर्मिंदगी
पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर सवाल
इस्लामाबाद: पाकिस्तान को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है। हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष विभिन्न देशों से हजारों पाकिस्तानी नागरिकों को निर्वासन का सामना करना पड़ा है। इनमें से अधिकांश मामले भीख मांगने, वीजा उल्लंघन और अवैध प्रवास से संबंधित हैं।
फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एफआईए) के अधिकारियों ने संसद की एक समिति को बताया कि वर्ष 2025 में अब तक लगभग 52,000 पाकिस्तानी नागरिकों को 41 देशों से वापस भेजा गया है। यह आंकड़ा पिछले 11 महीनों का है, जिसमें औसतन रोजाना 155 पाकिस्तानी निर्वासित हो रहे हैं। इनमें से लगभग 37,000 लोग भीख मांगते हुए पकड़े गए थे। सबसे अधिक मामले सऊदी अरब से सामने आए हैं, जहां से कुल 56,000 पाकिस्तानी निर्वासित किए गए हैं, जिनमें से 24,000 केवल इस वर्ष के हैं।
पाकिस्तान की छवि को नुकसान
इसके अतिरिक्त, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से 6,000 और अजरबैजान से 2,500 पाकिस्तानी नागरिक वापस भेजे गए हैं। कुवैत, बहरीन, ओमान और कतर जैसे अन्य देशों से भी बड़ी संख्या में निर्वासन हुए हैं। यह समस्या नई नहीं है। पाकिस्तानी नागरिक अक्सर उमराह या टूरिस्ट वीजा का दुरुपयोग कर खाड़ी देशों में जाते हैं और वहां सड़कों पर या मस्जिदों के बाहर भीख मांगते हैं। इससे न केवल पाकिस्तान की छवि खराब हो रही है, बल्कि इन देशों ने पाकिस्तानियों के लिए वीजा नियमों को और सख्त कर दिया है।
सऊदी अरब ने 24000 पाकिस्तानियों को निकाला
एफआईए ने इस वर्ष संगठित गिरोहों को रोकने के लिए 66,000 से अधिक यात्रियों को हवाई अड्डों से वापस भेजा है। यह संख्या पिछले वर्ष की तुलना में दोगुनी से अधिक है। पाकिस्तान में आर्थिक संकट के कारण लोग बेहतर जीवन की तलाश में विदेश जा रहे हैं, लेकिन कई मामलों में वे अवैध तरीके अपनाते हैं। इससे न केवल वे खुद मुश्किल में पड़ते हैं, बल्कि पूरे देश की प्रतिष्ठा प्रभावित होती है।
