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पाकिस्तान-चीन संबंधों में तनाव: चीनी कंपनियों को चेतावनी

पाकिस्तान और चीन के बीच की पुरानी मित्रता में हाल के दिनों में तनाव बढ़ गया है। पाकिस्तान ने चार प्रमुख चीनी कंपनियों को चेतावनी दी है कि यदि वे इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग कैमरों को हटाने की मांग नहीं मानती हैं, तो उन्हें अपना संचालन बंद करना पड़ सकता है। यह विवाद FBR और चीनी टाइल निर्माण कंपनियों के बीच बढ़ते टकराव का परिणाम है। FBR ने टैक्स चोरी के मामलों को रोकने के लिए कैमरे लगाने का निर्णय लिया है, जिससे दोनों देशों के संबंधों में नई कड़वाहट उत्पन्न हो गई है।
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पाकिस्तान-चीन संबंधों में तनाव: चीनी कंपनियों को चेतावनी

पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ता तनाव


नई दिल्ली: पाकिस्तान और चीन के बीच की पुरानी मित्रता में हाल के दिनों में दरारें उभरने लगी हैं। हालिया घटनाक्रम ने वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि पाकिस्तान ने चार प्रमुख चीनी कंपनियों को अपने संचालन को बंद करने की चेतावनी दी है। यह विवाद पाकिस्तान के फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (FBR) और चीनी टाइल निर्माण कंपनियों के बीच बढ़ते टकराव का परिणाम है।


यह मामला इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग कैमरों की स्थापना को लेकर इतना गंभीर हो गया है कि दोनों पक्षों के बीच तनाव खुलकर सामने आ गया है। पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान की नीतियों में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया है, जिसमें चीन की जगह अमेरिका के साथ नजदीकी बढ़ती दिखाई दे रही है।


चीनी कंपनियों के आरोप

तनाव तब बढ़ा जब चीनी कंपनियों ने यह आरोप लगाया कि FBR द्वारा लगाए गए कैमरे उनकी गोपनीयता का उल्लंघन कर रहे हैं। इन कंपनियों का कहना है कि इस मॉनिटरिंग सिस्टम से उनके व्यापारिक रहस्यों पर असर पड़ सकता है, इसलिए कैमरों को हटाने की मांग की गई है।


कैमरा लगाने का उद्देश्य

दूसरी ओर, FBR ने कैमरे हटाने से स्पष्ट इनकार किया है। पाकिस्तान की संसद की सीनेट स्टैंडिंग कमेटी ऑन फाइनेंस एंड रेवेन्यू की बैठक में यह मुद्दा उठाया गया। बैठक की अध्यक्षता सलीम मण्डवीवाला ने की। FBR के चेयरमैन राशिद महमूद लैंगरियल ने बताया कि टाइल सेक्टर में 30 अरब पाकिस्तानी रुपये की टैक्स चोरी का संदेह है। उन्होंने कहा कि कैमरे लगाने का उद्देश्य वास्तविक उत्पादन पर नजर रखना है, ताकि कर चोरी को रोका जा सके और सरकारी राजस्व को नुकसान न पहुंचे।


FBR प्रमुख का बयान

FBR प्रमुख ने यह भी बताया कि कैमरों की स्थापना सबसे पहले चीनी उद्योग में की गई थी, जहां 76 अरब रुपये की टैक्स चोरी पकड़ी गई थी। इसके बाद सीमेंट उद्योग की निगरानी की गई, जिसमें लगभग 102 अरब रुपये का नुकसान सामने आया। अब टाइल सेक्टर में यह आंकड़ा भी 30 अरब रुपये तक पहुंच चुका है। इन बड़े पैमाने पर हुई टैक्स चोरी को देखते हुए FBR ने कहा कि कैमरों को हटाना किसी भी स्थिति में संभव नहीं है।


FBR की चेतावनी

हालांकि, विवाद को कम करने के लिए कुछ कदम उठाए गए हैं। FBR ने बताया कि 15 में से 11 कैमरे हटा दिए गए हैं और अब केवल चार कैमरे ही लगाए गए हैं, जिनका उद्देश्य केवल उत्पादन की गणना करना है। इसके बावजूद, FBR ने स्पष्ट किया कि यदि कंपनियों को यह व्यवस्था पसंद नहीं है, तो वे पाकिस्तान में अपना संचालन बंद कर सकती हैं। इस बयान ने चीन-पाकिस्तान संबंधों में नई कड़वाहट पैदा कर दी है।