पाकिस्तान-तुर्की संबंधों में खटास: शांति वार्ता में विवाद का कारण क्या है?
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच शांति वार्ता में विवाद
नई दिल्ली : पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच चल रही शांति वार्ता, जिसे तुर्की और कतर ने मिलकर आगे बढ़ाया था, अब एक बड़े विवाद में बदल गई है. विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, तुर्की की खुफिया एजेंसी के प्रमुख ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से गंभीर असंतोष जताया है. विवाद की जड़ अंकारा में हुई वार्ता के दौरान पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के व्यवहार को बताया जा रहा है.
जनरल मुनीर ने चुनी थी टीम
सूत्रों के अनुसार, शांति वार्ता में शामिल पाकिस्तानी सैन्य प्रतिनिधियों का चयन पूरी तरह से जनरल मुनीर ने किया था. तुर्की और कतर ने वार्ता का माहौल तैयार किया था ताकि दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को कम किया जा सके, लेकिन मीटिंग में पाकिस्तान की टीम का रवैया मध्यस्थों को पसंद नहीं आया.
तुर्की की नाराज़गी का कारण
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तानी प्रतिनिधियों ने बातचीत में कई अतार्किक माँगें रखीं. उन्होंने वार्ता चला रहे तुर्की और कतर के मध्यस्थों को कई बार नजरअंदाज किया और राजनयिक शिष्टाचार का पालन भी नहीं किया. इस तरह के व्यवहार ने न केवल वार्ता को नुकसान पहुँचाया, बल्कि तुर्की के प्रयासों को भी कमजोर किया.
तुर्की की खुफिया एजेंसी की प्रतिक्रिया
बताया जा रहा है कि तुर्की की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी (MIT) के प्रमुख ने इस रवैये को अपनी सीधी बेइज्जती माना. उन्होंने पाकिस्तानी सेना नेतृत्व को स्पष्ट संदेश दिया कि सम्मान के बिना सहयोग संभव नहीं है. इसके बाद तुर्की ने पाकिस्तान की सैन्य व्यवस्था से अपनी प्रत्यक्ष भागीदारी कम कर दी. सूत्र यह भी बताते हैं कि हाल के हफ्तों में दोनों देशों के बीच बैकडोर बातचीत लगभग बंद हो गई है.
क्षेत्रीय राजनीति पर प्रभाव
पाकिस्तान लंबे समय से तुर्की को अपना करीबी रणनीतिक साझेदार मानता रहा है. मई 2024 में भारत-पाकिस्तान तनाव के समय तुर्की ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया था. अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी तुर्की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है. हालांकि इस विवाद के बाद दोनों देशों के सैन्य संबंधों में खटास, अफगान मुद्दे पर भरोसे में कमी और क्षेत्रीय राजनीति में नई अनिश्चितता देखी जा रही है.
