पाकिस्तान में TLP के विरोध प्रदर्शन से बढ़ा तनाव, हिंसा की घटनाएं

पाकिस्तान में बढ़ते तनाव के बीच TLP का विरोध
पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन: पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य प्रमुख शहरों में तनाव की स्थिति गंभीर हो गई है। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) द्वारा आयोजित विरोध ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। इजरायल की गाजा नीतियों और अमेरिका के कथित समर्थन के खिलाफ शुरू हुए इस मार्च ने अब हिंसक रूप ले लिया है। लाहौर में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों में दो लोगों की जान चली गई है, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं। सरकार ने राजधानी को सुरक्षा के लिहाज से किले में तब्दील कर दिया है, सड़कें बंद कर दी गई हैं, इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं और सेना को तैनात किया गया है।
शुक्रवार को TLP समर्थक लाहौर से इस्लामाबाद की ओर बढ़े, लेकिन पुलिस की सख्ती ने स्थिति को बिगाड़ दिया। बुधवार रात को पंजाब पुलिस ने लाहौर के TLP मुख्यालय पर छापा मारा, जहां प्रमुख साद हुसैन रिजवी को गिरफ्तार करने की कोशिश की गई। इस दौरान हुई झड़पों में TLP का दावा है कि उसके एक कार्यकर्ता की मौत हो गई और 20 से अधिक लोग घायल हुए। पुलिस के अनुसार, एक प्रदर्शनकारी और एक कांस्टेबल की मौत हुई, जबकि 12 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।
लाहौर में रास्ते रोके गए
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर फेंके, जिसके जवाब में पुलिस ने वॉटर कैनन, आंसू गैस और ग्रेनेड का इस्तेमाल किया। लाहौर की सड़कों पर कंटेनर लगाकर रास्ते बंद कर दिए गए, लेकिन TLP कार्यकर्ता बड़ी संख्या में जुटकर राजधानी की ओर बढ़ते रहे। इस्लामाबाद के फजाबाद इंटरचेंज पर भारी बैरिकेडिंग की गई, जहां TLP ने अमेरिकी दूतावास के बाहर प्रदर्शन करने की योजना बनाई थी। रावलपिंडी में भी धारा 144 लागू कर जुलूसों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में प्रदर्शनकारियों को इजरायल और अमेरिका के खिलाफ नारे लगाते हुए देखा जा सकता है, जबकि पुलिस की कार्रवाई ने माहौल को और भड़का दिया है।
आंदोलन का कारण क्या है?
TLP ने इस मार्च को 'अक्सा मिलियन मार्च' नाम दिया है, जो फिलिस्तीन के प्रति एकजुटता का प्रतीक माना जा रहा है। संगठन का कहना है कि इजरायल की गाजा में जारी कार्रवाई और अमेरिका की कथित साजिश के खिलाफ यह विरोध आवश्यक है। TLP प्रवक्ता ने कहा, "हम गाजा के निर्दोष लोगों के लिए आवाज उठा रहे हैं। पाकिस्तान सरकार का इस 'गाजा डील' में शामिल होना इस्लाम और फिलिस्तीन के साथ विश्वासघात है।"
हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रदर्शन TLP की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित है। 2021 में प्रतिबंधित होने के बाद नवंबर में फिर से वैधता पाने वाली TLP ने 2017 में सुप्रीम कोर्ट के चुनावी सुधारों के खिलाफ लंबे धरने देकर सरकार को झुकाया था। अब शहबाज शरीफ सरकार और सेना प्रमुख आसिम मुनीर पर 'अमेरिकी दबाव में झुकने' का आरोप लगाकर TLP जनसमर्थन जुटाने की कोशिश कर रही है। आंतरिक मंत्री मोहसिन नकवी ने कहा कि यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन नहीं, बल्कि अराजकता फैलाने की साजिश है।
इंटरनेट सेवाओं का निलंबन और लॉकडाउन
प्रदर्शन को रोकने के लिए पाकिस्तान सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं। इस्लामाबाद और रावलपिंडी में मोबाइल इंटरनेट और 3G/4G सेवाएं रात 12 बजे से अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी गई हैं। पाकिस्तान टेलीकम्युनिकेशन अथॉरिटी (PTA) को निर्देश दिए गए हैं। प्रमुख सड़कों पर कंटेनर लगाकर ब्लॉकेज किया गया है, और रेड जोन को पूरी तरह सील कर दिया गया है। केवल अधिकृत वाहनों को मार्गल्ला रोड से प्रवेश की अनुमति है।
पंजाब प्रांत में 100 से अधिक TLP नेताओं को हिरासत में लिया गया है, जिनके पास लाठियां, रसायन, ग्लास मार्बल और हथियार बरामद हुए हैं। सूत्रों के अनुसार, सेना और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है। इन कदमों से आम जनजीवन प्रभावित हुआ है।