पाकिस्तान में अफगान शरणार्थियों पर बढ़ा दबाव: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में खुलासा
तालिबान और पाकिस्तान के बीच तनाव का असर
डूरंड लाइन पर तालिबान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का सीधा असर अफगान शरणार्थियों पर पड़ रहा है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है कि पाकिस्तान ने अपने देश में रह रहे अफगान नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई को तेज कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सप्ताह में अफगानों की गिरफ्तारियों में 146 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में क्या है?
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त और अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन द्वारा साझा की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि एक नवंबर को समाप्त सप्ताह में कुल 7,764 अफगान नागरिकों को पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों से हिरासत में लिया गया। इनमें से 86 प्रतिशत गिरफ्तारियां बलूचिस्तान में हुईं। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि सीमा को फिर से खोलने के बाद से पाकिस्तान में गिरफ्तारियों की घटनाओं में अचानक वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार, 26 अक्टूबर से 1 नवंबर के बीच गिरफ्तार किए गए अफगानों में से 77 प्रतिशत के पास कोई दस्तावेज़ नहीं था या वे अफगान सिटिजन कार्ड धारक थे, जबकि 23 प्रतिशत के पास प्रूफ ऑफ रजिस्ट्रेशन कार्ड था। इसका मतलब यह है कि कानूनी दर्जाधारी अफगान नागरिक भी गिरफ्तारी के दायरे में आए हैं।
गिरफ्तारी के मामलों में सबसे अधिक वृद्धि चागी, अटक और क्वेटा जिलों में देखी गई। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों से यह भी स्पष्ट हुआ है कि अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में अफगान शरणार्थियों की वापसी और निर्वासन दोनों में तेजी आई है। 19 से 25 अक्टूबर की तुलना में वापसी में 101 प्रतिशत और निर्वासन में 131 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
बातचीत में असफलता और बढ़ता तनाव
पाकिस्तान और तालिबान के बीच डूरंड लाइन पर विवाद लंबे समय से जारी है। कई शांति वार्ताओं के बावजूद सीमा पर झड़पें और गोलीबारी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। पाकिस्तान का आरोप है कि तालिबान अपनी भूमि पर आतंकवादी समूहों को शरण दे रहा है, जो पाकिस्तान में हमले करते हैं। वहीं, तालिबान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि "पाकिस्तान जिन आतंकियों का जिक्र कर रहा है, वे उसकी अपनी सीमा के भीतर मौजूद हैं।"
हाल ही में इस मुद्दे पर हुई वार्ता भी बिना किसी ठोस नतीजे के समाप्त हो गई। संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बिगड़ते संबंधों की गंभीरता को उजागर करती है, जिसमें आम नागरिकों, विशेषकर निर्दोष अफगान शरणार्थियों को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
