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पाकिस्तान में धार्मिक उन्माद: साद रिजवी की गिरफ्तारी से भड़की हिंसा

पाकिस्तान में साद रिजवी की गिरफ्तारी के बाद धार्मिक उन्माद और हिंसा की लहर उठी है। TLP समर्थकों ने कई शहरों में प्रदर्शन किए, जिससे स्थिति बेकाबू हो गई। इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम के बावजूद, TLP ने उग्र प्रदर्शन जारी रखा है। जानें इस संगठन का इतिहास और पाकिस्तान की वर्तमान राजनीतिक स्थिति के बारे में।
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पाकिस्तान में धार्मिक उन्माद: साद रिजवी की गिरफ्तारी से भड़की हिंसा

पाकिस्तान में फिर से धार्मिक तनाव


पाकिस्तान एक बार फिर धार्मिक उन्माद की चपेट में है। पिछले दो दिनों से देश के विभिन्न हिस्सों में इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन के नाम पर हिंसा हो रही है। यह तनाव तब शुरू हुआ जब कट्टरपंथी इस्लामी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) ने 8 अक्टूबर को इजरायल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया। हालात तब बिगड़ गए जब पुलिस ने लाहौर में TLP के मुख्यालय पर छापा मारने की कोशिश की और इसके नेता साद रिजवी को गिरफ्तार करने का प्रयास किया।


सड़कों पर उतरी हिंसक भीड़

साद रिजवी की गिरफ्तारी की खबर फैलते ही पाकिस्तान के कई शहरों में TLP समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर हिंसा शुरू कर दी। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। पत्थरबाज़ी, लोहे की छड़ों से हमले, आंसू गैस और लाठीचार्ज ने माहौल को युद्ध क्षेत्र में बदल दिया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में प्रदर्शनकारी आंसू गैस के गोले और खाली कारतूस दिखाते नजर आए।


युद्धविराम के बावजूद गुस्सा क्यों?

यह हैरान करने वाली बात है कि इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम की घोषणा हो चुकी है, जिसे हमास ने भी स्वीकार कर लिया है। इसके बावजूद, TLP इस युद्धविराम को खारिज करते हुए पाकिस्तान में आगजनी और उग्र प्रदर्शन कर रहा है। शहबाज शरीफ की सरकार को इस्लामाबाद और लाहौर में सुरक्षा बढ़ानी पड़ी है। फैजाबाद इंटरचेंज समेत कई स्थानों पर कंटेनर लगाकर रास्ते बंद कर दिए गए हैं ताकि प्रदर्शनकारियों को रोका जा सके।


साद रिजवी और TLP का इतिहास

TLP के मौजूदा प्रमुख साद रिजवी, इसके संस्थापक ख़ादिम हुसैन रिजवी के बेटे हैं। ख़ादिम वही व्यक्ति थे जिन्होंने पाकिस्तान में "गुस्ताख-ए-रसूल की एक ही सज़ा, सर तन से जुदा" जैसे घातक धार्मिक नारों को गढ़ा था। 2011 में पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या के बाद उन्होंने हत्यारे मुमताज़ कादरी को 'ग़ाज़ी' कहकर महिमामंडित किया।


TLP ने तब से पाकिस्तान में एक बड़ा धार्मिक और राजनीतिक आधार बना लिया है। यह संगठन कई बार धर्म के नाम पर सरकार को झुकने पर मजबूर कर चुका है। अब, साद रिजवी की गिरफ्तारी ने फिर से इसी आग को भड़का दिया है।


"सर तन से जुदा" का नारा और पाकिस्तान की स्थिति

पाकिस्तान के धार्मिक संगठनों ने जिस ज़हर को दशकों तक फैलाया, वही अब उसे अंदर से खोखला कर रहा है। "सर तन से जुदा" जैसे नारों ने न केवल पाकिस्तान में हिंसा को जन्म दिया है, बल्कि इस्लामी कट्टरता को वैश्विक स्तर पर बदनाम किया है। जब भी सरकार किसी चरमपंथी नेता पर कार्रवाई करती है, पूरा देश विरोध की चपेट में आ जाता है।


सरकार की बेबसी और कट्टरता की जकड़न

पाकिस्तान की सरकारें अक्सर TLP जैसे संगठनों के खिलाफ खुलकर कार्रवाई नहीं कर पातीं। राजनीतिक दबाव और भय के कारण वे अक्सर झुक जाती हैं, जिससे चरमपंथियों की ताकत बढ़ती है। TLP के खिलाफ कार्रवाई के दौरान जो हिंसा हो रही है, वह इसी सड़े-गले राजनीतिक और धार्मिक समीकरण की उपज है।


पाकिस्तान अपने ही जाल में फंसा

साद रिजवी की गिरफ्तारी और देशभर में फैले हिंसक प्रदर्शनों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तान अपने ही बनाए धार्मिक उग्रवाद के जाल में फंस चुका है। "सर तन से जुदा" जैसे जहरीले नारों को राजनीतिक लाभ के लिए गढ़ा गया था, जो अब पूरे मुल्क के लिए नासूर बन चुका है। धार्मिक कट्टरता की लपटों में झुलसता पाकिस्तान आज उस सच का सामना कर रहा है, जिसे वह सालों से नजरअंदाज करता आया है।