Newzfatafatlogo

पाकिस्तान में शराब निर्यात की अनुमति: मुर्री ब्रेवरी की नई शुरुआत

पाकिस्तान की मुर्री ब्रेवरी को 50 वर्षों के बाद शराब निर्यात की अनुमति मिली है, जो देश की आर्थिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया निर्णय है। इस ब्रेवरी की स्थापना 1860 में हुई थी और यह पाकिस्तान की सबसे पुरानी शराब कंपनी है। मालिक इस्फनयार भंडारा ने इसे परिवार के संघर्ष की जीत बताया है। जानें इस निर्णय के पीछे की कहानी और इसके संभावित आर्थिक प्रभावों के बारे में।
 | 
पाकिस्तान में शराब निर्यात की अनुमति: मुर्री ब्रेवरी की नई शुरुआत

पाकिस्तान में शराब पर पाबंदी में ढील


पाकिस्तान, जो एक मुस्लिम देश है, में शराब पर कड़े प्रतिबंध हैं, लेकिन आर्थिक आवश्यकताओं के चलते नियमों में कुछ ढील दी गई है। हाल ही में, पाकिस्तान की सबसे पुरानी मुर्री ब्रेवरी को लगभग 50 वर्षों के बाद शराब निर्यात करने की अनुमति मिली है। यह निर्णय विदेशी मुद्रा अर्जित करने के उद्देश्य से लिया गया है। इससे पहले, सऊदी अरब ने भी गैर-मुस्लिमों के लिए शराब की दुकान खोलकर चर्चा का विषय बना था।


मुर्री ब्रेवरी का ऐतिहासिक सफर

मुर्री ब्रेवरी की स्थापना 1860 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी। यह पाकिस्तान की सबसे बड़ी और पुरानी शराब निर्माता कंपनी मानी जाती है। इसका कारखाना रावलपिंडी में स्थित है, जो सेना प्रमुख के निवास के निकट है, जहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं।


कंपनी का वार्षिक कारोबार 100 मिलियन डॉलर से अधिक है, जिसमें से आधी आय शराब से आती है, जबकि शेष गैर-अल्कोहलिक पेय और बोतल निर्माण से होती है। पाकिस्तान में शराब केवल गैर-मुस्लिमों और विदेशी नागरिकों को बेची जा सकती है।


निर्यात की अनुमति का कारण

1977 में पाकिस्तान में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिसमें निर्यात भी शामिल था। अब यह प्रतिबंध हटा लिया गया है ताकि देश को डॉलर मिल सकें। पहले, कंपनी भारत, अफगानिस्तान, खाड़ी देशों और अमेरिका को शराब निर्यात करती थी। अब जापान, ब्रिटेन और पुर्तगाल में टेस्ट शिपमेंट शुरू हो चुके हैं। कंपनी में 2200 कर्मचारी कार्यरत हैं और अब यूरोप, एशिया, और अफ्रीका के बाजारों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।


मालिक की खुशी और संघर्ष

कंपनी के मालिक इस्फनयार भंडारा तीसरी पीढ़ी के हैं। उन्होंने इसे अपने परिवार के लंबे संघर्ष की जीत बताया। उनके पूर्वज भी इस दिशा में प्रयासरत रहे, लेकिन सफल नहीं हो पाए। 2017 में एक चीनी कंपनी को अनुमति मिलने से उन्हें झटका लगा था।


अब वे खुश हैं कि उन्हें विदेशों में अपने ब्रांड का प्रचार करने का अवसर मिलेगा। यह निर्णय धार्मिक नियमों और आर्थिक आवश्यकताओं के बीच संतुलन स्थापित करता है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को इससे लाभ होगा, लेकिन इस पर बहस जारी रहेगी।