पाकिस्तान में संविधान संशोधन: सेना प्रमुख की स्थिति को मजबूत करने की कोशिश
संविधान संशोधन का महत्व
नई दिल्ली: पाकिस्तान की संसद में प्रस्तुत 27वां संविधान संशोधन विधेयक देश की राजनीतिक संरचना में महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकता है। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य सेना की कमान को संवैधानिक मान्यता प्रदान करना बताया जा रहा है, लेकिन कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम सेना प्रमुख आसिम मुनीर की स्थिति को और मजबूत करने के लिए उठाया गया है।
कानून मंत्री आजम नजीर तरार का बयान
कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने इस संशोधन को पेश करते हुए कहा कि इससे रक्षा ढांचे का आधुनिकीकरण होगा और नागरिक-सैन्य समन्वय में सुधार आएगा। प्रस्तावित संशोधन संविधान के अनुच्छेद 243 में बदलाव करेगा, जिससे सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुखों की नियुक्तियां औपचारिक रूप से संविधान के तहत होंगी।
भारत-पाकिस्तान के बीच हाल के तनाव का उल्लेख करते हुए तरार ने कहा कि युद्ध की बदलती प्रकृति को देखते हुए नए संवैधानिक समायोजन आवश्यक हैं।
भारत के खिलाफ सैन्य कार्रवाई
7 मई को भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों पर ऑपरेशन सिंदूर चलाया, जिसमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। इसके जवाब में पाकिस्तान ने सैन्य कार्रवाई की, लेकिन उसे असफलता का सामना करना पड़ा।
जनरल आसिम मुनीर का प्रमोशन
इन घटनाओं के कुछ दिन बाद ही जनरल आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया गया। यह पद पहले केवल जनरल अयूब खान के पास था। कहा जा रहा है कि नया संशोधन मुनीर के इस पद को संवैधानिक मान्यता देगा, जिससे उनका कार्यकाल सुरक्षित हो जाएगा और उन्हें हटाना कठिन होगा।
कमांडर ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) का प्रस्ताव
संशोधन में कमांडर ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) नाम का नया पद बनाने का प्रस्ताव भी है, जो तीनों सेनाओं की निगरानी करेगा। मुनीर को इस पद की कमान मिलने की संभावना जताई जा रही है, जिससे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास सशस्त्र बलों पर नियंत्रण सीमित हो सकता है। इसके अलावा, प्रस्ताव में फील्ड मार्शल के कार्यकाल को अनिश्चित या बढ़ाने योग्य बताया गया है, जिससे मुनीर का प्रभाव लंबे समय तक बना रह सकता है।
