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पाकिस्तान में सेना प्रमुख की कानूनी छूट पर विवाद गहराया

पाकिस्तान की राजनीति में एक नया विवाद उभरा है, जिसमें सेना प्रमुख आसिम मुनीर को दी गई आजीवन कानूनी छूट पर सवाल उठाए जा रहे हैं। मुफ्ती तकी उस्मानी ने इसे इस्लाम के खिलाफ बताया है, जबकि JUI-F पार्टी इसे सरकार और सेना के बीच एक धार्मिक चुनौती मानती है। इस विवाद ने पाकिस्तान की हाइब्रिड सरकार की वैधता को भी प्रभावित किया है। जानें इस मुद्दे की गहराई और इसके संभावित परिणामों के बारे में।
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पाकिस्तान में सेना प्रमुख की कानूनी छूट पर विवाद गहराया

पाकिस्तान की राजनीति में नया विवाद


नई दिल्ली: पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति में एक नया विवाद उभरा है, जिसमें सेना के प्रमुख और नए चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज, फील्ड मार्शल सैयद आसिम मुनीर को दी गई आजीवन कानूनी छूट पर सवाल उठाए जा रहे हैं। जमीयत उलेमा ए इस्लाम फजल (JUI-F) से जुड़े प्रमुख इस्लामी विद्वान मुफ्ती तकी उस्मानी ने इस निर्णय को इस्लाम के खिलाफ और हराम करार दिया है।


कानूनी छूट पर मुफ्ती तकी उस्मानी की टिप्पणी

मुफ्ती तकी उस्मानी का कहना है कि किसी भी शासक या सैन्य अधिकारी को कानून से ऊपर रखना कुरान और सुन्नत के सिद्धांतों के खिलाफ है। यह विवाद पाकिस्तान के संविधान में किए गए 27वें संशोधन से संबंधित है, जिसके तहत एक नया पद चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज स्थापित किया गया और आसिम मुनीर को इस पद पर नियुक्त किया गया।


संशोधन के अनुसार, इस पद पर रहते हुए किए गए कार्यों के लिए उन्हें जीवनभर आपराधिक और दीवानी मामलों से छूट मिलेगी, जब तक संसद इसे वापस न ले। मुफ्ती तकी उस्मानी ने स्पष्ट किया कि इस्लाम में कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है, चाहे वह शासक, जनरल या खलीफा हो, सभी को जवाबदेह होना चाहिए।


JUI-F का सरकार पर आरोप

JUI-F के भीतर इस बयान को सरकार और सैन्य व्यवस्था के खिलाफ एक मजबूत धार्मिक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के कई घटक दल भी इस छूट को लेकर असहज हैं। JUI-F का मानना है कि पार्टी का उपयोग केवल धार्मिक समर्थन और सड़कों पर ताकत दिखाने के लिए किया गया है, जबकि असली निर्णयों में उसे शामिल नहीं किया गया।


पार्टी ने शहबाज शरीफ सरकार पर कुरान के सिद्धांतों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। JUI-F प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान के करीबी सूत्रों का कहना है कि असली सत्ता नागरिक सरकार के बजाय सेना के हाथ में केंद्रित है, जिसके कारण चुनाव बाद की व्यवस्थाएं सत्तारूढ़ दल पीएमएल एन और पीपीपी के पक्ष में की गईं।


स्थानीय मौलवियों का दबाव

इस बीच, देवबंदी विचारधारा से जुड़े कई स्थानीय मौलवी JUI-F नेतृत्व पर दबाव बना रहे हैं कि वह इस कथित गैर इस्लामी गठबंधन से दूरी बनाए। शीर्ष इंटेलिजेंस सूत्रों ने मीडिया को बताया कि मुफ्ती तकी उस्मानी जैसे खुले विरोध से पाकिस्तान की हाइब्रिड सरकार के लिए वैधता का गहरा संकट उत्पन्न हो गया है।


इसके अलावा, JUI-F और शहबाज़ शरीफ सरकार के बीच बढ़ती दरार गठबंधन की स्थिरता को कमजोर कर रही है और सेना पर निर्भरता बढ़ा रही है। इस्लामी सिद्धांतों का हवाला देकर, आलोचक रावलपिंडी द्वारा दमन को और भी चुनौतीपूर्ण बना रहे हैं।