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पुतिन का भारत दौरा: ऊर्जा व्यापार और अमेरिकी टैरिफ पर महत्वपूर्ण बयान

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत दौरे के दौरान ऊर्जा व्यापार और अमेरिकी टैरिफ नीतियों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने भारत के अधिकारों की रक्षा करते हुए कहा कि यदि अमेरिका रूस से परमाणु ईंधन खरीद सकता है, तो भारत को भी ऊर्जा संसाधनों की खरीद का अधिकार होना चाहिए। पुतिन ने ट्रंप के 50% टैरिफ पर भी प्रतिक्रिया दी और रूस की मुक्त व्यापार नीति पर जोर दिया। जानें इस महत्वपूर्ण वार्ता के बारे में और कैसे यह भारत-रूस संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
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पुतिन का भारत दौरा: ऊर्जा व्यापार और अमेरिकी टैरिफ पर महत्वपूर्ण बयान

पुतिन का भारत दौरा


रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में भारत की यात्रा के दौरान ऊर्जा व्यापार, अमेरिकी प्रतिबंधों और ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीति पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत को रूस से तेल और यूरेनियम खरीदने का पूरा अधिकार है, जैसे अमेरिका वर्षों से रूसी परमाणु ईंधन का आयात करता आया है।


भारत के अधिकारों पर जोर

पुतिन ने कहा कि यदि अमेरिका रूस से परमाणु ईंधन खरीद सकता है, तो भारत को भी ऊर्जा संसाधनों की खरीद का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका आज भी अपने परमाणु संयंत्रों के लिए रूसी यूरेनियम का आयात करता है। उनके अनुसार, ऊर्जा व्यापार का निर्णय किसी भी देश का स्वतंत्र अधिकार होना चाहिए और इसे राजनीतिक दबाव से प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए।


ट्रंप के टैरिफ पर पुतिन की प्रतिक्रिया

ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ के संदर्भ में पुतिन ने कहा कि ट्रंप अपनी नीतियों को आर्थिक सलाहकारों के आधार पर बनाते हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप 'good faith' में निर्णय लेते हैं और उनकी टीम मानती है कि ऐसे शुल्क से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लाभ होता है।


रूस की आर्थिक नीति

पुतिन ने स्पष्ट किया कि रूस न तो ऐसे टैरिफ लगाता है और न ही भविष्य में ऐसा करने की योजना है। उन्होंने कहा कि रूस की अर्थव्यवस्था खुली है और मुक्त व्यापार में विश्वास करती है। उनका मानना है कि विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का पालन किया जाना चाहिए।


भारत-रूस ऊर्जा व्यापार का महत्व

हाल के वर्षों में, भारत रूस से कच्चे तेल और ऊर्जा संसाधनों का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। पुतिन ने कहा कि दोनों देशों के बीच ऊर्जा साझेदारी आपसी लाभ और विश्वास पर आधारित है। उन्होंने इस संबंध को वैश्विक भू-राजनीति से अलग रखने की अपील की।


रणनीतिक साझेदारी पर संकेत

पुतिन ने यह भी कहा कि भारत और रूस दशकों से एक-दूसरे के रणनीतिक साझेदार हैं, और ऊर्जा व्यापार इस साझेदारी की नींव है। उन्होंने ट्रंप के दबाव या पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों को भारत-रूस संबंधों पर प्रभाव डालने वाली बातें बताया। अंत में, उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत भविष्य में अपने स्वतंत्र हितों को प्राथमिकता देता रहेगा।