पुतिन की भारत यात्रा: महत्वपूर्ण क्षण और वैश्विक प्रभाव

पुतिन की संभावित यात्रा
पुतिन की भारत यात्रा: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस वर्ष नई दिल्ली का दौरा करने की योजना बना रहे हैं। यह यात्रा विशेष महत्व रखती है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प उन देशों को निशाना बना रहे हैं जो रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं। फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद, यह पुतिन की पहली भारत यात्रा होगी, जिसके बाद 2023 में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। इस गिरफ्तारी वारंट को पुतिन की अंतर्राष्ट्रीय यात्रा को सीमित करने का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है.
शांति की वकालत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार शांति की आवश्यकता पर जोर दिया है और रूस-यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए बातचीत का आह्वान किया है। पिछले वर्ष, मोदी ने रूस में पुतिन से दो बार मुलाकात की थी, पहली बार जुलाई 2024 में मास्को में 22वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान और दूसरी बार कज़ान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में। इसके अलावा, मोदी ने दिसंबर 2021 में नई दिल्ली में 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए पुतिन की मेज़बानी की थी.
पुतिन की यात्रा का महत्व
पुतिन की भारत यात्रा क्यों महत्वपूर्ण है?
यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब ट्रम्प भारत पर रूस की 'युद्ध मशीन' को बढ़ावा देने के लिए दबाव बना रहे हैं। पिछले एक दशक में, अमेरिका के साथ भारत के संबंध क्वाड जैसे सहयोग के माध्यम से मजबूत हुए हैं। 1971 के युद्ध के दौरान अमेरिका ने पाकिस्तान का समर्थन किया था, लेकिन रूस ने भारत का साथ दिया था, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध और गहरे हुए थे.
भारत-रूस संबंध
भारत ने रूस से तेल खरीद का बचाव करते हुए इसे अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा के लिए आवश्यक बताया है। अक्टूबर 2000 में पुतिन की यात्रा के दौरान भारत-रूस सामरिक साझेदारी की घोषणा की गई थी, जिससे रक्षा, सुरक्षा, व्यापार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, संस्कृति और लोगों के बीच आदान-प्रदान में गहराई आई है.
मोदी और पुतिन की मुलाकातें
कई मौकों पर मिले पीएम मोदी और पुतिन
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन उच्चस्तरीय संवाद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें अब तक 21 शिखर सम्मेलन हो चुके हैं। भारत और रूस संयुक्त राष्ट्र, जी-20, ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भी निकट समन्वय करते हैं। व्यापार और आर्थिक संबंधों में तेजी आई है, और 2025 तक व्यापार का लक्ष्य 30 बिलियन डॉलर से अधिक है.
रक्षा क्षेत्र में सहयोग
भारत और रूस के बीच रक्षा क्षेत्र में दीर्घकालिक साझेदारी है। प्रमुख परियोजनाओं में एस-400 मिसाइल प्रणाली, टी-90 टैंक, सुखोई-30 एमकेआई, मिग-29 और कामोव हेलीकॉप्टर, आईएनएस विक्रमादित्य, एके-203 राइफलें और ब्रह्मोस मिसाइलें शामिल हैं.