पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा पर बांग्लादेश के राजनीतिक बदलाव का प्रभाव
बांग्लादेश में राजनीतिक बदलाव और सुरक्षा चिंताएं
नई दिल्ली: हाल ही में बांग्लादेश में हुए राजनीतिक परिवर्तनों ने पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा को लेकर नई चिंताएं उत्पन्न की हैं। शेख हसीना की सरकार के गिरने के बाद, मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर आरोप है कि वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से पुराने उग्रवादी नेटवर्क को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रही है।
परेश बरुआ का संदर्भ
इस संदर्भ में उल्फा इंडिपेंडेंट के नेता परेश बरुआ का नाम फिर से चर्चा में आया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, उसे चीन से निकालकर ढाका में बसाने की योजना बनाई जा रही है। परेश बरुआ भारत के सबसे वांटेड उग्रवादियों में से एक है, जिसने यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम का नेतृत्व किया है और बाद में उल्फा इंडिपेंडेंट का कमान संभाला।
Intelligence inputs suggest Pakistan’s ISI is reviving its old playbook by using Bangladeshi soil to destabilize India’s Northeast.
— TRIDENT (@TridentxIN) December 18, 2025
Reports indicate plans to facilitate ULFA-I chief Paresh Baruah’s return from China’s Yunnan province to Dhaka, with alleged backing from the Yunus… pic.twitter.com/goUqukipT7
उल्फा का उद्देश्य
उल्फा का मुख्य उद्देश्य असम को भारत से अलग करना रहा है। जहां एक धड़ा 2023-24 में भारत सरकार के साथ शांति समझौते में शामिल हुआ, वहीं परेश बरुआ ने इस समझौते को अस्वीकार कर सशस्त्र संघर्ष जारी रखा। 1990 के दशक में उल्फा के हमलों और बम धमाकों ने असम में भारी अशांति फैलाई। बरुआ लंबे समय से फरार है और एनआईए की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल है।
परेश बरुआ और बांग्लादेश का संबंध
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, परेश बरुआ चीन के युन्नान प्रांत में छिपा हुआ है। उसका बांग्लादेश से पुराना संबंध रहा है, जहां उसे 2001 से 2006 के बीच खालिदा जिया की बीएनपी जमात सरकार के दौरान संरक्षण मिला था। इसी समय 2004 का चटगांव हथियार कांड भी सामने आया था, जिसमें पूर्वोत्तर भारत के उग्रवादी संगठनों के लिए भारी मात्रा में हथियार पकड़े गए थे।
2024 में बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के बाद हालात में बदलाव आया। शेख हसीना के सत्ता छोड़ने और यूनुस सरकार के गठन के बाद भारत विरोधी तत्वों की गतिविधियों में वृद्धि हुई है। दिसंबर 2024 में चटगांव हथियार कांड से जुड़े मामलों में सजा में नरमी को भी इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।
संभावित खतरे
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान और चीन मिलकर पूर्वोत्तर भारत में अस्थिरता फैलाने की योजना बना रहे हैं। यदि परेश बरुआ को ढाका में सक्रिय किया गया, तो सीमा पार से भर्ती, हथियारों की आपूर्ति और आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि हो सकती है। बांग्लादेश से लगी लंबी सीमा के कारण असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लिए यह स्थिति गंभीर खतरा बन सकती है।
