प्रयागराज का नैनी ब्रिज: एक ऐतिहासिक इंजीनियरिंग चमत्कार

नैनी ब्रिज की अद्भुत कहानी
प्रयागराज। प्रयागराज शहर, जो तीन ओर से नदियों से घिरा हुआ है, में स्थित नैनी ब्रिज एक अद्वितीय इंजीनियरिंग का उदाहरण है। यह पुल भारत के सबसे पुराने और लंबे पुलों में से एक है, जो यमुना नदी पर बना हुआ है। यह डबल-डेक स्टील ट्रस ब्रिज है, जो इलाहाबाद के उपनगरीय क्षेत्र नैनी को जोड़ता है।
इस पुल के ऊपरी डेक पर दो लेन की रेलवे लाइन है, जो नैनी जंक्शन को इलाहाबाद जंक्शन से जोड़ती है। यह ट्रैक भारत के सबसे व्यस्ततम दिल्ली-हावड़ा रेलवे मार्ग का हिस्सा है, जिस पर प्रतिदिन सैकड़ों ट्रेनें चलती हैं। इस पुल का डिज़ाइन कंसल्टिंग इंजीनियर अलेक्जेंडर मीडोज रेंडेल और उनके पिता जेम्स मीडोज रेंडेल ने किया था, जबकि निर्माण ब्रिटिश इंजीनियर मिस्टर सिवले के नेतृत्व में हुआ।
इस पुल ने 160 वर्षों से अधिक समय तक अपनी मजबूती को बनाए रखा है। इसका निर्माण 1859 में शुरू हुआ और 15 अगस्त 1865 को इसका उद्घाटन हुआ। 3150 फीट लंबे इस पुल के निर्माण पर उस समय 44 लाख 46 हजार तीन सौ रुपये खर्च हुए थे।
निर्माण में 30 लाख क्यूबिक ईंटों का उपयोग किया गया और इसे बनाने में 6 साल लगे। सभी पिलर की नींव 42 फीट गहरी है। दिलचस्प बात यह है कि इस पुल के पिलरों में इलाहाबाद की जामा मस्जिद के पत्थरों का उपयोग किया गया था, जिसे कर्नल नील ने ध्वस्त किया था।
इस पुल के 17 पिलर में से 13 पिलर 61 मीटर लंबे हैं, जबकि 2 पिलर 12.20 मीटर और 1 पिलर 9.18 मीटर लंबा है। इनमें से एक पिलर, जिसे हाथी पांव कहा जाता है, 67 फीट लंबा और 17 फीट चौड़ा है।
पुल के निर्माण के दौरान कई चुनौतियाँ आईं, विशेषकर पिलर नंबर 13 के निर्माण में। यमुना नदी का बहाव इतना तेज था कि पिलर को खड़ा करना मुश्किल हो रहा था। इंजीनियर मिस्टर सिवले ने अपनी डायरी में लिखा कि इस स्थान पर पानी का बहाव बहुत तेज था, जिससे पिलर बार-बार गिर जाता था।
एक रात, उन्होंने एक सपना देखा जिसमें उनकी पत्नी पानी में खड़ी थीं। इस सपने ने उन्हें एक नया डिज़ाइन बनाने की प्रेरणा दी, जिससे पिलर का निर्माण संभव हुआ। इस पिलर को बनाने में 20 महीने से अधिक का समय लगा।
इस पिलर के निर्माण के लिए पानी का स्तर 9 फीट नीचे किया गया और मानव बलि की भी बात की जाती है। इसके बाद ही यह पिलर तैयार हुआ। इस पर 52 फीट व्यास का पत्थर का मेहराब बनाया गया, जिससे पुल को स्थिरता मिली।