फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा: संयुक्त राष्ट्र और पश्चिमी देशों की नई पहल

फिलिस्तीन की राज्य मान्यता पर गुटेरेस का बयान
फिलिस्तीन की मान्यता के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने न्यूयॉर्क में सदस्य देशों को संबोधित करते हुए कहा कि फिलिस्तीनियों के लिए राज्य का दर्जा एक अधिकार है, न कि कोई पुरस्कार। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि फिलिस्तीन को मान्यता नहीं दी गई, तो यह चरमपंथियों के लिए एक उपहार साबित होगा। गुटेरेस ने यह भी कहा कि मध्य पूर्व में स्थायी शांति केवल दो-राज्य समाधान के माध्यम से ही संभव है।
दो-राज्य समाधान पर संयुक्त राष्ट्र का समर्थन
गुटेरेस ने दो-राज्य समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र की पुरानी नीति को दोहराते हुए कहा कि इजरायल और फिलिस्तीन को 1967 की सीमाओं के आधार पर स्वतंत्र और संप्रभु लोकतांत्रिक राज्य के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए। उनके अनुसार, यरुशलम को दोनों देशों की साझा राजधानी होना चाहिए, जो अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुरूप है।
फ्रांस का महत्वपूर्ण कदम
फ्रांस ने भी फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने की घोषणा की है, जो कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बाद आया है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने न्यूयॉर्क में दो-राज्य समाधान पर आयोजित शिखर सम्मेलन में कहा कि अब समय आ गया है कि फिलिस्तीन को मान्यता दी जाए, जिससे इजरायल शांति से रह सकेगा।
मैक्रों का बयान
मैक्रों ने अपने संबोधन में कहा कि यह निर्णय हमास की हार का प्रतीक है और शांति की दिशा में एक आवश्यक कदम है। उनका यह बयान गाजा में इजरायल के सैन्य अभियान पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच आया है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, मैक्रों ने स्पष्ट किया कि यदि दो-राज्य समाधान पर आगे नहीं बढ़ा गया, तो क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ेगी।
पश्चिमी देशों की एकजुटता
फ्रांस से पहले कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने भी फिलिस्तीन को मान्यता देने का ऐलान किया था। इन घोषणाओं का उद्देश्य तेल अवीव पर दबाव बढ़ाना है ताकि युद्धविराम लागू हो सके और बातचीत का रास्ता खुल सके। ब्रिटेन और फ्रांस जैसे G7 और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों का यह रुख महत्वपूर्ण है।
वैश्विक स्तर पर फिलिस्तीन की स्थिति
अब तक 140 से अधिक देश फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं। हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इजरायल-फिलिस्तीन दो-राज्य समाधान को पुनर्जीवित करने वाला प्रस्ताव भारी बहुमत से पारित किया। भारत भी उन 142 देशों में शामिल था जिन्होंने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। यह निर्णय इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के उस बयान के तुरंत बाद लिया गया जिसमें उन्होंने कहा था कि "फिलिस्तीनी राज्य कभी अस्तित्व में नहीं आएगा।"