फ्रांसीसी नौसेना ने पाकिस्तानी मीडिया के दावों को किया खारिज
फ्रांसीसी नौसेना ने पाकिस्तानी मीडिया के दावों को खारिज करते हुए उन्हें भ्रामक जानकारी करार दिया है। पाकिस्तान के जियो टीवी ने एक लेख में दावा किया था कि फ्रांसीसी कमांडर ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान की हवाई श्रेष्ठता की पुष्टि की थी। इस पर भारत में तीखी प्रतिक्रिया हुई है, जिसमें भाजपा नेता ने इसे पाकिस्तान की गलत जानकारी फैलाने वाली मशीनरी का उदाहरण बताया। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और इसके राजनीतिक निहितार्थ।
| Nov 23, 2025, 18:23 IST
फ्रांसीसी नौसेना का स्पष्टीकरण
फ्रांसीसी नौसेना ने रविवार को पाकिस्तानी मीडिया द्वारा किए गए उन दावों को पूरी तरह से गलत बताया, जिसमें कहा गया था कि मई 2025 में हुई एक हवाई लड़ाई के दौरान, फ्रांस के एक कमांडर ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान की हवाई श्रेष्ठता की पुष्टि की थी। नौसेना ने इन रिपोर्टों को भ्रामक जानकारी करार दिया।
पाकिस्तानी मीडिया का दावा
पाकिस्तान के जियो टीवी ने एक लेख में यह दावा किया था कि फ्रांसीसी कमांडर कैप्टन जैक्विस लौने ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान की हवाई ताकत की पुष्टि की थी।
इस लेख में यह भी कहा गया था कि पाकिस्तान एयर फोर्स 'बेहतर तरीके से तैयार' थी और राफेल फाइटर जेट को चीनी J-10C फाइटर की तकनीकी श्रेष्ठता के कारण नहीं गिराया गया।
फ्रांसीसी नौसेना का उत्तर
फ्रांसीसी नौसेना ने इन दावों को 'फेक न्यूज' बताते हुए कहा, 'ये बयान कैप्टन लौने के नाम से दिए गए थे, जिन्होंने कभी किसी प्रकाशन के लिए अपनी मंजूरी नहीं दी थी। लेख में बहुत अधिक गलत जानकारी और तथ्यहीन बातें हैं।'
भारत में प्रतिक्रिया
इस घटना पर ऑनलाइन तीखी आलोचना हुई। भाजपा नेता अमित मालवीय ने इसे पाकिस्तान की 'हताश गलत जानकारी फैलाने वाली मशीनरी' का उदाहरण बताया।
मालवीय ने कहा कि जब सरकारी संस्थाएं उनके प्रोपेगैंडा को गलत साबित करने लगती हैं, तो यह दर्शाता है कि पाकिस्तान की गलत जानकारी फैलाने वाली मशीनरी कितनी हताश हो गई है। कई अन्य लोगों ने भी पाकिस्तानी मीडिया की आलोचना की, जो भारत के खिलाफ बेबुनियाद दावे करने के लिए जानी जाती है।
यह विवाद मई में हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' से संबंधित है, जब भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में यह सैन्य कार्रवाई की थी, जिसमें 26 निर्दोष लोग मारे गए थे। भारत की इस त्वरित कार्रवाई से पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान हुआ, जिसके बाद इस्लामाबाद के अनुरोध पर दोनों पक्ष युद्धविराम के लिए सहमत हुए थे।
