बच्चों के आधार कार्ड को अपडेट करने की आवश्यकता और प्रक्रिया
बच्चों के आधार कार्ड का महत्व
आधार कार्ड केवल एक पहचान पत्र नहीं है, बल्कि यह सरकारी योजनाओं और सेवाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। बच्चों के लिए आधार का अद्यतन होना उतना ही आवश्यक है जितना कि वयस्कों के लिए। हालांकि, कई माता-पिता इस मामले में लापरवाह रहते हैं, जो बच्चों के भविष्य की सुविधाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) समय-समय पर नागरिकों को उनके आधार विवरण को अपडेट करने की सलाह देता है। बच्चों के मामले में, यह प्रक्रिया और भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि उनकी उम्र के साथ उनके चेहरे और बायोमेट्रिक डेटा में बदलाव होता है।
जब छोटे बच्चों का आधार बनाया जाता है, तो उनकी उंगलियों के निशान और आंखों की जानकारी नहीं ली जाती। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, इन जानकारियों को जोड़ना आवश्यक हो जाता है। यह न केवल बच्चे की पहचान को सुरक्षित करता है, बल्कि भविष्य में आधार से जुड़ी सेवाओं का लाभ उठाने में भी मदद करता है।
कब और कैसे कराएं अपडेट?
UIDAI के नियमों के अनुसार, बच्चों के आधार को अपडेट करने के लिए निम्नलिखित समयसीमाएं हैं:
- पहला अपडेट: यदि बच्चे का आधार 5 साल से कम उम्र में बना है, तो 5 साल की उम्र पूरी होने पर उसका बायोमेट्रिक डेटा (फिंगरप्रिंट, आंख की स्कैनिंग) और फोटो अपडेट कराना आवश्यक है।
- दूसरा अपडेट: जब बच्चा 15 साल का होता है, तब फिर से यही प्रक्रिया दोहराई जाती है।
यदि ये अपडेट समय पर नहीं किए जाते हैं, तो UIDAI बच्चे के आधार को अस्थायी रूप से निष्क्रिय कर सकता है। निष्क्रिय आधार से न तो कोई सरकारी सेवा प्राप्त की जा सकती है और न ही यह पहचान प्रमाण के रूप में मान्य होता है।
इस प्रक्रिया को पूरा करना बहुत सरल है। माता-पिता को बच्चे के साथ नजदीकी आधार सेवा केंद्र जाना होता है, जहां बच्चे का नया फोटो लिया जाता है, उसकी उंगलियों और आंखों का स्कैन किया जाता है, और मौजूदा विवरण को अपडेट किया जाता है। सबसे अच्छी बात यह है कि इस पूरी प्रक्रिया के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
अपडेट न कराने पर संभावित समस्याएं
यदि आधार को समय पर अपडेट नहीं किया जाता है, तो निम्नलिखित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं:
- स्कूल में प्रवेश या छात्रवृत्ति के लिए दस्तावेज़ मान्य नहीं होंगे।
- सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा।
- डिजिटल सेवाओं जैसे e-KYC, मोबाइल सिम वेरिफिकेशन आदि में बाधाएं आएंगी।
- बैंकिंग या बीमा जैसी सेवाओं में देरी हो सकती है।