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बांग्लादेश की एनसीपी ने जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन किया, विवाद बढ़ा

बांग्लादेश की नई राजनीतिक पार्टी एनसीपी ने जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन करने का निर्णय लिया है, जिससे पार्टी में असंतोष और इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है। प्रमुख नेता डॉ. तसनीम जारा सहित कई नेताओं ने पार्टी छोड़ने का ऐलान किया है। एनसीपी के भीतर दो गुट बन गए हैं, एक जो गठबंधन का समर्थन कर रहा है और दूसरा जो इसका विरोध कर रहा है। यह स्थिति एनसीपी के लिए एक बड़ा राजनीतिक संकट बन गई है। आगे देखना होगा कि पार्टी इस आंतरिक कलह से कैसे उबरती है।
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बांग्लादेश की एनसीपी ने जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन किया, विवाद बढ़ा

नई दिल्ली में एनसीपी का ऐलान

नई दिल्ली: बांग्लादेश की नई राजनीतिक पार्टी, नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी), ने आगामी आम चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। पार्टी ने जमात-ए-इस्लामी के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल होने की घोषणा की है। यह जानकारी जमात-ए-इस्लामी के अमीर शफीकुर रहमान ने रविवार को दी, जिसे बांग्लादेश के विभिन्न मीडिया चैनलों ने भी पुष्टि की है। हालांकि, एनसीपी का यह कदम पार्टी के भीतर गंभीर विवाद और असंतोष का कारण बन गया है।


आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका

एनसीपी की स्थापना इस वर्ष की गई थी और यह उन छात्र नेताओं द्वारा बनाई गई थी, जिन्होंने पिछले वर्ष शेख हसीना की सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। एनसीपी ने खुद को एक नई सोच और नागरिक अधिकारों की पार्टी के रूप में प्रस्तुत किया था। ऐसे में एक इस्लामिक पार्टी के साथ गठबंधन का निर्णय पार्टी की मूल विचारधारा के खिलाफ माना जा रहा है।


पार्टी में असंतोष

गठबंधन की घोषणा के बाद एनसीपी के कई प्रमुख नेता असंतुष्ट हो गए हैं। विशेष रूप से, पार्टी की महिला नेताओं में इस निर्णय को लेकर गहरा असंतोष देखा गया है। विरोध के रूप में, कई नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा देना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में, पार्टी की प्रमुख नेता डॉ. तसनीम जारा ने एनसीपी छोड़ने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि वह अब पार्टी का हिस्सा नहीं रहेंगी और आगामी चुनाव स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लड़ेंगी। डॉ. तसनीम जारा के इस्तीफे से यह स्पष्ट हो गया है कि पार्टी के भीतर मतभेद गहरे हो चुके हैं।


170 से अधिक नेताओं का समर्थन

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, एनसीपी में इस मुद्दे पर दो स्पष्ट गुट बनते दिखाई दे रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी की केंद्रीय समिति के 30 नेताओं ने नाहिद इस्लाम को पत्र लिखकर जमात-ए-इस्लामी के साथ किसी भी चुनावी गठबंधन का विरोध किया है। वहीं, दूसरी रिपोर्ट बताती है कि एनसीपी की केंद्रीय समिति के 170 से अधिक नेताओं ने इस गठबंधन के निर्णय का समर्थन किया है।


इस्तीफों का दौर जारी

इस्तीफों का यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। रविवार को पार्टी की संयुक्त संयोजक ताजनुवा जबीन ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट कर कहा कि वह पार्टी की नीतियों और जमात के साथ गठबंधन की दिशा से बेहद निराश हैं। इससे पहले, 25 दिसंबर को एनसीपी के वरिष्ठ नेता और जमात विरोधी गुट के प्रमुख मीर अर्शादुल हक भी पार्टी छोड़ चुके हैं।


एनसीपी के लिए राजनीतिक संकट

पिछले एक सप्ताह में लगातार हो रहे इस्तीफों से यह स्पष्ट हो गया है कि जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन का निर्णय एनसीपी के लिए एक बड़ा राजनीतिक संकट बन गया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इस आंतरिक कलह से कैसे उबरती है और चुनावी राजनीति में खुद को कैसे संभालती है।