बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन: एक राजनीतिक यात्रा
खालिदा जिया का निधन
नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वे बांग्लादेश की तीन बार प्रधानमंत्री रह चुकी हैं और उन्हें देश की सबसे प्रभावशाली महिला के रूप में जाना जाता है। खालिदा का राजनीतिक सफर प्रेरणादायक रहा है।
राजनीतिक सफर की शुरुआत
खालिदा जिया का सफर एक साधारण गृहिणी से प्रधानमंत्री तक पहुंचने का है, जो कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। हालांकि, भारत के प्रति उनके दृष्टिकोण में भिन्नता थी। उन्हें भारत का विरोधी माना जाता है, जो उनके निर्णयों में स्पष्ट दिखाई देता है।
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख
वे बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की प्रमुख नेता थीं। उनके कार्यकाल के दौरान भारत के साथ संबंधों में तनाव बढ़ा, विशेषकर 2001 से 2006 के बीच। इस दौरान भारत विरोधी गतिविधियों में वृद्धि हुई, जिससे सुरक्षा चुनौतियां उत्पन्न हुईं। कई लोग मानते हैं कि बीएनपी की नीतियां भारत के हितों के खिलाफ थीं।
राजनीतिक रुख और चुनावी मुद्दे
खालिदा जिया की पार्टी ने भारत को अक्सर राजनीतिक मुद्दा बनाया। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता है। अवामी लीग पार्टी के भारत के साथ अच्छे संबंधों की आलोचना भी की गई।
चुनावों में भारत विरोधी भावनाओं का लाभ उठाया गया, जिससे उनकी पार्टी को फायदा हुआ। बांग्लादेश में भारत के प्रति नकारात्मक धारणा विकसित हुई। विपक्ष में रहते हुए भी खालिदा जिया ने भारत विरोधी बयान दिए।
सुरक्षा संबंधी चिंताएं
खालिदा जिया के शासन में बांग्लादेश को भारत विरोधी ताकतों के लिए सुरक्षित स्थान माना गया। पूर्वोत्तर भारत के विद्रोही समूहों जैसे उल्फा को बांग्लादेश में शरण मिली। इन समूहों ने भारत में हमले किए।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भी उस समय बांग्लादेश में अपनी गतिविधियों को बढ़ाया। कई आतंकवादी घटनाओं में बांग्लादेश का इस्तेमाल हुआ। जब शेख हसीना सत्ता में आईं, तो उन्होंने इन विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई की और कुछ को भारत को सौंपा।
चीन और पाकिस्तान से निकटता
बीएनपी सरकार ने चीन के साथ करीबी संबंध बनाए। चीन ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता का विरोध किया था और शेख मुजीब की हत्या के बाद ही मान्यता दी। इसी कारण खालिदा जिया के समय में चीन के साथ रक्षा और व्यापार संबंध मजबूत हुए।
पाकिस्तान के साथ भी उनके अच्छे संबंध थे। बीएनपी को पाकिस्तान समर्थक माना जाता है। इन देशों के साथ निकटता को भारत विरोधी नीति के रूप में देखा गया। जमात-ए-इस्लामी जैसे इस्लामी दलों के साथ गठबंधन ने भी भारत विरोधी छवि बनाई।
तारिक रहमान का ISI से संबंध
खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान का भी आईएसआई से संबंध था। कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि तारिक रहमान ने शेख हसीना सरकार को उखाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसमें आईएसआई की भी भागीदारी थी।
