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बांग्लादेश की राजनीति में उथल-पुथल: इंकलाब मंच का आंदोलन और छात्र नेता पर हमला

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रही है। इंकलाब मंच ने सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है, जबकि छात्र नेता मोहम्मद मोतालेब सिकदर पर हमले की घटना ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। क्या बांग्लादेश की सरकार इस संकट से उबर पाएगी? जानें पूरी कहानी में।
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बांग्लादेश की राजनीति में उथल-पुथल: इंकलाब मंच का आंदोलन और छात्र नेता पर हमला

राजनीतिक अस्थिरता का नया दौर


नई दिल्ली: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार एक बार फिर राजनीतिक संकट का सामना कर रही है। मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने वाला संगठन 'इंकलाब मंच' अब उसी सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी कर रहा है। इस चेतावनी के बाद ढाका में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।


24 घंटे का अल्टीमेटम

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इंकलाब मंच ने अपनी मांगों को लेकर 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। यदि उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे यूनुस प्रशासन के खिलाफ सड़कों पर उतरने का इरादा रखते हैं। यह विवाद संगठन के प्रवक्ता उस्मान हादी की हत्या और उसके आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी से जुड़ा है।


सरकार पर उठे सवाल

इंकलाब मंच ने आरोप लगाया है कि हाल ही में मंत्रालय की ब्रीफिंग में गृह सलाहकार और उनके विशेष सचिव की अनुपस्थिति ने इस गंभीर मामले को हल्का दिखाने का प्रयास किया। इससे सरकार की मंशा पर सवाल उठते हैं।


छात्र नेता पर हमला

बांग्लादेश के खुलना शहर से एक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है। सोमवार को अज्ञात हमलावरों ने छात्र नेता मोहम्मद मोतालेब सिकदर पर गोली चलाई। यह घटना प्रमुख युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के कुछ दिन बाद हुई है।


एनसीपी की पुष्टि

नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) की संयुक्त प्रधान समन्वयक महमूदा मितु ने फेसबुक पर इस घटना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सिकदर को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है।


बढ़ता तनाव

शरीफ उस्मान हादी की सिंगापुर में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद मोहम्मद यूनुस की सरकार ने शोक दिवस मनाया और आश्वासन दिया कि दोषियों को पकड़ने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।


हिंसा का फिर से भड़कना

हादी पर हमले और उनकी मौत के बाद ढाका सहित कई प्रमुख शहरों में हिंसा फिर से भड़क उठी है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के लिए कानून-व्यवस्था और राजनीतिक स्थिरता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है।