बांग्लादेश-भारत संबंधों में खाद्य सुरक्षा की अहमियत
बांग्लादेश और भारत के बीच बढ़ती कड़वाहट
नई दिल्ली: हाल के समय में बांग्लादेश और भारत के बीच संबंधों में तनाव बढ़ा है। बांग्लादेश में भारत के खिलाफ नकारात्मक माहौल बनाने की कोशिशें की गई हैं, साथ ही राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। फिर भी, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को अंततः भारत से सस्ते चावल की मदद मांगनी पड़ी है। यह स्थिति दर्शाती है कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, वास्तविकता और आम लोगों की आवश्यकताएं प्राथमिकता बन जाती हैं।
महंगाई की समस्या
बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति गंभीर है। महंगाई में वृद्धि हो रही है, विदेशी मुद्रा भंडार सीमित है, और खाद्य पदार्थों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे में सरकार को यह समझ में आया कि भारत से मिलने वाली सस्ती और विश्वसनीय खाद्य आपूर्ति को नजरअंदाज करना देश के लिए नुकसानदायक हो सकता है। भारत न केवल बांग्लादेश का पड़ोसी है, बल्कि खाद्य सुरक्षा में भी एक महत्वपूर्ण सहयोगी रहा है।
चावल का आयात
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बांग्लादेश ने भारत से 50,000 टन चावल आयात करने का निर्णय लिया है। इस चावल की कीमत लगभग 355 डॉलर प्रति टन है, जबकि पाकिस्तान से चावल खरीदने पर बांग्लादेश को लगभग 395 डॉलर प्रति टन चुकाने पड़ते हैं। इस प्रकार, आर्थिक वास्तविकता यह है कि भारत से चावल अधिक सस्ता और आसानी से उपलब्ध है। अधिकारियों का कहना है कि इतनी कम कीमत पर चावल वियतनाम जैसे देशों से भी मिलना मुश्किल है।
भारत पर निर्भरता
बांग्लादेश की भारत पर निर्भरता केवल चावल तक सीमित नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में, बांग्लादेश ने कई आवश्यक खाद्य पदार्थों के लिए भारत पर भरोसा किया है, जिसमें चावल, गेहूं, चीनी, प्याज और लहसुन शामिल हैं। आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2021-22 और 2022-23 के दौरान इन सभी चीजों का आयात बांग्लादेश में काफी बढ़ा है। भारत ने कई बार अपनी घरेलू जरूरतों को ध्यान में रखते हुए निर्यात पर नियंत्रण किया, लेकिन पड़ोसी देशों, विशेषकर बांग्लादेश, की आवश्यकताओं का ध्यान रखा।
खाद्य सुरक्षा में भारत की भूमिका
पिछले साल, जब बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार थी, तब भी भारत से पूरे साल के लिए खाद्य आपूर्ति का आश्वासन मांगा गया था। इसका उद्देश्य कीमतों में उतार-चढ़ाव और संभावित कमी से देश को बचाना था। इससे स्पष्ट है कि बांग्लादेश की खाद्य सुरक्षा में भारत की भूमिका लंबे समय से महत्वपूर्ण रही है।
सामाजिक तनाव
हालांकि, मौजूदा अंतरिम सरकार के दौरान स्थिति और अधिक संवेदनशील हो गई है। देश में सामाजिक तनाव बढ़ा है और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं उठी हैं। इसके बावजूद, भारत ने मानवीय मुद्दों, जैसे खाद्य सुरक्षा, को राजनीतिक मतभेदों से अलग रखने की कोशिश की है। बांग्लादेश को अब यह समझ में आ रहा है कि अगर रिश्तों में सुधार नहीं किया गया, तो खाद्य संकट जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
चावल निर्यातकों की चिंता
इस बीच, भारत के कुछ चावल निर्यातकों ने हाल की घटनाओं को देखते हुए चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि बांग्लादेश में भारतीय हितों पर हमलों की खबरों से भारतीय माल की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। चटोग्राम में भारतीय कार्यालय को निशाना बनाए जाने की घटना के बाद यह चिंता और बढ़ गई है। निर्यातकों का तर्क है कि जब माहौल असुरक्षित हो, तो चावल की आपूर्ति जारी रखना जोखिम भरा हो सकता है।
रिश्तों की दिशा
कुल मिलाकर, यह घटनाक्रम दर्शाता है कि चाहे राजनीति कितनी भी कड़वी हो, बुनियादी जरूरतों के सामने सभी देशों को व्यावहारिक निर्णय लेने पड़ते हैं। बांग्लादेश के लिए भारत से सस्ती और विश्वसनीय खाद्य आपूर्ति अब एक आवश्यकता बन गई है, और यही सच्चाई दोनों देशों के संबंधों की दिशा को भी निर्धारित करेगी.
