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बांग्लादेश में NCP और Jamaat-e-Islami का गठबंधन: क्या है इसके पीछे की कहानी?

बांग्लादेश में नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) ने इस्लामिक Jamaat-e-Islami के साथ गठबंधन की घोषणा की है, जो आगामी 2026 के चुनावों से पहले एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम है। इस गठबंधन ने NCP के भीतर आंतरिक असहमति को जन्म दिया है, जिसके चलते कई वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। सीट बंटवारे की जद्दोजहद और राजनीतिक समीकरणों में बदलाव के साथ, यह गठबंधन बांग्लादेश की राजनीति में नए मोड़ ला सकता है। जानें इस गठबंधन के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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बांग्लादेश में NCP और Jamaat-e-Islami का गठबंधन: क्या है इसके पीछे की कहानी?

बांग्लादेश में राजनीतिक हलचल


नई दिल्ली : बांग्लादेश में 2026 के फरवरी में होने वाले चुनावों से पहले, नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) ने इस्लामिक Jamaat-e-Islami के साथ एक नया गठबंधन बनाने की घोषणा की है। यह गठबंधन उस छात्र आंदोलन से उभरी पार्टी द्वारा किया गया है, जिसने जुलाई 2024 में हसीना सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए थे। Jamaat के प्रमुख शफीकुर रहमान ने इस गठबंधन की जानकारी स्थानीय मीडिया के माध्यम से साझा की। इस नए गठबंधन के साथ, मौजूदा आठ दलों की संख्या अब बढ़कर दस हो गई है।


NCP में आंतरिक असहमति

NCP में आंतरिक विरोध और राजीनामे
हालांकि इस गठबंधन का अधिकांश हिस्सा NCP के नेताओं द्वारा समर्थन किया गया, लेकिन कई वरिष्ठ नेता और कार्यकारी सदस्य इससे असहमत रहे और उन्होंने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। प्रमुख नेता तज्नुवा जाबीन ने पार्टी की नीति निर्माण प्रक्रिया और Jamaat के साथ गठबंधन पर अपनी निराशा व्यक्त की। इसी तरह, मीर अरशादुल हक ने भी राजीनामा देकर विरोध जताया। पिछले एक सप्ताह में इस तरह के कई इस्तीफे सामने आए हैं, जिससे पार्टी के भीतर मतभेद स्पष्ट हो गए हैं।


सीट बंटवारे की चुनौतियाँ

सीट बंटवारे की जद्दोजहद
फरवरी के चुनावों के लिए, NCP ने Jatiyo Sangsad की 350 सीटों में से 50 सीटों की मांग की थी, जिसे Jamaat ने अवास्तविक बताया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अंततः NCP ने अपनी मांग को घटाकर 30 सीटों तक सीमित कर दिया। इस दौरान, कुछ NCP नेता BNP के साथ बातचीत के विकल्पों की तलाश कर रहे थे, खासकर जब BNP के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान 17 वर्षों के बाद बांग्लादेश लौटे।


गठबंधन का प्रभाव

गठबंधन के राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
इस गठबंधन ने NCP को दो हिस्सों में विभाजित कर दिया है। एक हिस्सा Jamaat के साथ जाने के पक्ष में है, जबकि दूसरा हिस्सा BNP से समझौते की संभावनाओं की तलाश कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गठबंधन युवाओं की राजनीति को कमजोर कर सकता है। NCP के वरिष्ठ नेताओं ने चेतावनी दी है कि Jamaat के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग या विचारधारा में समझौता पार्टी को भारी कीमत चुका सकता है।


NCP का राजनीतिक इतिहास

NCP का पिछला राजनीतिक रुख
NCP ने पहले घोषणा की थी कि वह स्वतंत्र रूप से चुनाव में भाग लेगी और सभी 300 निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारेगी। इसके बाद, इसने डेमोक्रेटिक रिफॉर्म अलायंस के तहत अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन किया और BNP तथा Jamaat से दूरी बनाए रखने का वादा किया। हालांकि, चुनाव के नजदीक आते ही पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया और Jamaat के साथ हाथ मिलाया।


छात्र आंदोलन का संदर्भ

छात्र आंदोलन और विरोध का संदर्भ
जुलाई 2024 के विरोध प्रदर्शन केवल हसीना सरकार के खिलाफ नहीं थे, बल्कि इनमें भारत विरोधी और अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ भी हिंसा देखने को मिली। इस आंदोलन में इस्लामिक तत्वों की सक्रिय भागीदारी रही और यही कारण माना जा रहा है कि NCP के कुछ नेताओं में पहले से ही Jamaat और उसके छात्र संगठन Chhatra Shibir के प्रभाव के तत्व मौजूद थे। इस गठबंधन ने स्पष्ट कर दिया है कि बांग्लादेश में आगामी चुनाव में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं और छात्र आंदोलनों से जन्मी पार्टी अब Jamaat के प्रभाव में आ सकती है।