बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ बढ़ते आक्रोश का असर भारत और नेपाल में
बांग्लादेश में तनाव और भारत में आक्रोश
हालांकि बांग्लादेश में हिंसा की लहर थम गई है, लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है। कट्टरपंथी तत्व लगातार अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं, जिससे भारत में गुस्सा भड़क उठा है। देश के विभिन्न शहरों में बांग्लादेश के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। केवल भारत ही नहीं, पड़ोसी नेपाल में भी हिंदू समुदाय ने बांग्लादेश के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की है। यह आक्रोश बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ती नफरत के खिलाफ है, जिसने ढाका में हिंदू युवक दीपपू दास की हत्या की।
दीपपू दास की हत्या के बाद, ढाका में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय ने न्याय की मांग करते हुए एक मौन विरोध प्रदर्शन किया। यह विरोध उस व्यवस्था के खिलाफ था जिसने धर्म के आधार पर एक युवक की पीट-पीट कर हत्या की।
ढाका के ढाकेश्वरी मंदिर में भी हिंदू संगठनों ने दीपपू दास को श्रद्धांजलि दी। भारत में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आक्रोश बढ़ रहा है। जमशेदपुर में बीजेपी और हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर बांग्लादेशी सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस का पुतला जलाया।
यह आक्रोश केवल जमशेदपुर तक सीमित नहीं है, बल्कि दिल्ली में भी बांग्लादेशी दूतावास के बाहर प्रदर्शनकारी जुटने लगे। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने समय रहते सभी प्रदर्शनकारियों को वहां से हटा दिया। असम के सीमावर्ती जिलों में भी बांग्लादेश के खिलाफ गुस्सा देखने को मिला। त्रिपुरा में हजारों की संख्या में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता सड़क पर उतर आए और बांग्लादेश के खिलाफ नारेबाजी की।
नेपाल में भी बांग्लादेश के खिलाफ प्रदर्शन
सिलचर में हिंदू संगठनों ने बांग्लादेशी हिंदुओं की रक्षा की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों की आंच नेपाल तक पहुंच गई है। नेपाल के आठ जिलों में हिंदू संगठन आक्रोशित हैं और उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ आवाज उठाई है।
नेपाली नागरिकों ने अपनी सरकार से मांग की है कि बांग्लादेशी दूतावास को नेपाल से तुरंत हटाया जाए और उनके डिप्लोमेट्स को देश से बाहर निकाला जाए। बांग्लादेश में जिहादी तत्व सक्रिय हैं, जिससे ऐसा लगता है कि पूरे देश पर कट्टरपंथियों का कब्जा हो गया है। शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के कार्यकर्ताओं को भी ये जिहादी ताकतें निशाना बना रही हैं।
