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बांग्लादेश में उथल-पुथल के बीच भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने बढ़ाया अलर्ट

बांग्लादेश में हालिया उथल-पुथल के कारण भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने सीमा पर उच्चतम अलर्ट जारी किया है। खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, आईएसआई समर्थित गिरोह भारत में अवैध घुसपैठ की योजना बना रहे हैं, जिसका उद्देश्य अव्यवस्था फैलाना और आतंकवादी तत्वों को भेजना है। पश्चिम बंगाल के चुनावों के समय इस दबाव में वृद्धि होने की संभावना है। जानें इस साजिश के पीछे की रणनीतियाँ और भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की चुनौतियाँ।
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बांग्लादेश में उथल-पुथल के बीच भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने बढ़ाया अलर्ट

भारत की सुरक्षा एजेंसियों का अलर्ट

बांग्लादेश में हालिया घटनाक्रम के चलते भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने सीमा पर उच्चतम स्तर का अलर्ट जारी किया है। इस बार चिंता केवल अवैध घुसपैठ की नहीं है, बल्कि एक संगठित साजिश की भी है, जिसमें सीमा को भीड़ से भरकर व्यवस्था को बाधित करने की योजना बनाई जा रही है। खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, बांग्लादेश में अराजकता का लाभ उठाकर आईएसआई समर्थित समूह भारत में लाखों लोगों को धकेलने की योजना बना रहे हैं। उनका उद्देश्य अव्यवस्था फैलाना और आतंकवादी तत्वों की घुसपैठ को छिपाना है।


चुनावों के समय बढ़ेगा दबाव

सूत्रों के अनुसार, यह दबाव विशेष रूप से पश्चिम बंगाल के चुनावों के समय बढ़ने की संभावना है। राज्य विधानसभा चुनावों में प्रतिस्पर्धा तीव्र होने की उम्मीद है, और हिंसा की आशंका को देखते हुए सुरक्षा बल पहले से ही सतर्क हैं। बताया गया है कि आईएसआई की योजना है कि भीड़ के बीच प्रशिक्षित आतंकियों को भी भेजा जाए, जिससे उनकी पहचान और रोकथाम मुश्किल हो जाए।


बांग्लादेश में आईएसआई का बढ़ता प्रभाव

खुफिया तंत्र का कहना है कि बांग्लादेश में हालिया सत्ता परिवर्तन के बाद आईएसआई का प्रभाव तेजी से बढ़ा है। इस दौरान कई आतंकियों को भारत भेजने के इरादे से प्रशिक्षित किया गया है। असम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल के नदी किनारे के रास्ते, कम दृश्यता वाले मार्ग और घने वन क्षेत्र इस साजिश के लिए चुने गए हैं। ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां निगरानी करना चुनौतीपूर्ण होता है और भीड़ की आड़ में घुसपैठ करना आसान होता है।


दोहरी योजना का खतरा

सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि योजना दोहरी है। एक ओर, बांग्लादेशी और रोहिंग्या जनसंख्या को सीमा पार भेजकर जनसांख्यिक दबाव बनाने की तैयारी है, वहीं दूसरी ओर प्रशिक्षित आतंकियों को अलग-अलग समूहों में भेजा जाएगा। खुफिया जानकारी के अनुसार, इन लोगों को आर्थिक तंगी का लालच देकर चुना जाता है और फिर उन्हें विशेष शिविरों में रखा जाता है। इन शिविरों को दो भागों में बांटा गया है। एक भाग केवल बसावट और दबाव के लिए है, जबकि दूसरा भाग हिंसक गतिविधियों के लिए तैयार किया जाता है।


घुसपैठ का व्यापक खतरा

यह साजिश केवल सीमावर्ती राज्यों तक सीमित नहीं है। यदि घुसपैठ सफल होती है, तो इन तत्वों को जम्मू-कश्मीर, दक्षिणी राज्यों और महाराष्ट्र जैसे क्षेत्रों में फैलाने की योजना है। इसका मतलब है कि पूरे देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा है। 1971 में पाकिस्तान ने सीधी जंग से कुछ हासिल नहीं होने के बाद छद्म युद्ध का रास्ता अपनाया था, जो आज भी जारी है।


भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की चुनौती

1973 में भारतीय खुफिया एजेंसियों को पता चला था कि जमात ए इस्लामी और आईएसआई ने मिलकर भारत में अवैध घुसपैठ के जरिए जनसांख्यिक बदलाव की योजना बनाई थी। उनका उद्देश्य बहुसंख्यक समाज में असुरक्षा पैदा करना और साम्प्रदायिक टकराव को भड़काना था। उस समय यह योजना पूरी तरह सफल नहीं हो सकी, लेकिन आज हालात बदल गए हैं। आईएसआई समर्थित जमात का प्रभाव बढ़ा है, जो उन्हें खुला मैदान देता है।


सुरक्षा प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के सामने चुनौती बहुस्तरीय है। सरकार को सीमा प्रबंधन में तकनीक, बल और खुफिया तंत्र का निर्भीकता से उपयोग करना होगा। नदी किनारे और वन क्षेत्रों में विशेष निगरानी, त्वरित पहचान और कड़ी कार्रवाई आवश्यक है। साथ ही, देश के भीतर यह स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि अवैध घुसपैठ और आतंक के प्रति शून्य सहनशीलता है।