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बांग्लादेश में चुनाव के साथ होगा जनमत संग्रह: मोहम्मद यूनुस का ऐलान

बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस ने घोषणा की है कि फरवरी में होने वाले संसदीय चुनावों के साथ एक राष्ट्रीय जनमत संग्रह भी आयोजित किया जाएगा। यह जनमत संग्रह 'जुलाई चार्टर' को लागू करने के लिए होगा, जो पिछले वर्ष के छात्र-नेतृत्व वाले विद्रोह के बाद तैयार किया गया था। यूनुस ने कहा कि यह कदम चुनावों को अधिक पारदर्शी और उत्सवपूर्ण बनाएगा। जानें इस चार्टर में क्या-क्या सुधार शामिल हैं और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया क्या है।
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बांग्लादेश में चुनाव के साथ होगा जनमत संग्रह: मोहम्मद यूनुस का ऐलान

बांग्लादेश में महत्वपूर्ण राजनीतिक बदलाव


बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में घोषणा की है कि देश में फरवरी के पहले पखवाड़े में होने वाले संसदीय चुनावों के साथ एक राष्ट्रीय जनमत संग्रह भी आयोजित किया जाएगा। यह जनमत संग्रह 'जुलाई चार्टर' को लागू करने के लिए होगा, जो पिछले वर्ष छात्र-नेतृत्व वाले विद्रोह के बाद तैयार किया गया था।


यूनुस का संबोधन

अंतरिम सरकार ने गुरुवार को 'जुलाई राष्ट्रीय चार्टर (संविधान सुधार) कार्यान्वयन आदेश 2025' को स्वीकृति दी। यूनुस ने अपने टेलीविज़न संबोधन में कहा कि हमने तय किया है कि जनमत संग्रह उसी दिन होगा जब संसदीय चुनाव होंगे। इससे सुधार प्रक्रिया प्रभावित नहीं होगी, बल्कि चुनावों को और अधिक उत्सवपूर्ण और पारदर्शी बनाया जाएगा।


जुलाई चार्टर का महत्व

यह चार्टर बांग्लादेश की राजनीतिक और संवैधानिक संस्थाओं में व्यापक सुधार लाने का एक खाका प्रस्तुत करता है। इसका उद्देश्य 2024 के ऐतिहासिक जनआंदोलन को संवैधानिक मान्यता प्रदान करना है, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर किया। प्रस्तावित चार्टर में कई महत्वपूर्ण सुधार शामिल हैं, जैसे प्रधानमंत्री के कार्यकाल की सीमा, राष्ट्रपति की शक्तियों में वृद्धि, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा देना और मौलिक अधिकारों का विस्तार।


राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

जुलाई चार्टर पर अधिकांश प्रमुख राजनीतिक दलों ने अक्टूबर में हस्ताक्षर किए थे। हालांकि, आंदोलन के नेताओं और चार वामपंथी दलों द्वारा गठित नेशनल सिटिज़न्स पार्टी (NCP) ने इस पहल का बहिष्कार किया। उनका कहना है कि चार्टर में किए गए वादों को लागू करने के लिए कानूनी गारंटी और ठोस ढांचा नहीं है, जिससे इसका प्रभाव सीमित रहेगा।


वहीं, चार्टर के समर्थक इसे संस्थागत सुधार की नींव मानते हैं। उनका मानना है कि यह कदम बांग्लादेश को एक लोकतांत्रिक और जवाबदेह शासन की दिशा में आगे बढ़ाएगा। यूनुस ने कहा कि मुझे विश्वास है कि सभी राजनीतिक दल राष्ट्रहित में इस निर्णय का सम्मान करेंगे। देश अब एक नए और प्रगतिशील बांग्लादेश की ओर बढ़ रहा है।