बांग्लादेश में बाउल सिंगर अबुल सरकार की गिरफ्तारी पर चिंता बढ़ी
बांग्लादेश में बाउल सिंगर की गिरफ्तारी
नई दिल्ली: बांग्लादेश के प्रसिद्ध बाउल गायक अबुल सरकार की गिरफ्तारी ने वहां की सिविल सोसाइटी और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं में गहरी चिंता उत्पन्न कर दी है। सोमवार को 250 से अधिक नागरिकों ने एक संयुक्त बयान जारी कर इस गिरफ्तारी और हाल के दिनों में धार्मिक समूहों द्वारा कलाकारों पर हो रहे हमलों की निंदा की।
धार्मिक कट्टरता का बढ़ता खतरा
बयान में शामिल लोगों का कहना है कि हाल की घटनाओं से यह स्पष्ट हो गया है कि शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद धार्मिक कट्टरता में वृद्धि हुई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि एक विशेष समूह ने खुद को इस्लाम का 'एक्सक्लूसिव रिप्रेजेंटेटिव' घोषित कर दिया है और देशभर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों, संगीत, नृत्य, थिएटर और मेलों में बाधा डालने का अभियान चला रहा है।
हिंसा के बढ़ते मामले
सिविल सोसाइटी ने बताया कि हाल के दिनों में 200 से अधिक दरगाहों को तोड़ने, लोगों को मुर्तद या काफिर कहकर निशाना बनाने, मृतकों को जलाने, बाउल और फकीरों के बाल काटने और महिलाओं की स्वतंत्रता पर पाबंदी लगाने के मामले सामने आए हैं। यह सब अलग सोच रखने वाले लोगों को दबाने की एक स्पष्ट रणनीति का हिस्सा है।
पुलिस की निष्क्रियता
साइन करने वालों ने यह भी आरोप लगाया कि कानून लागू करने वाली एजेंसियां अक्सर हिंसक समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने में असफल रही हैं। कई मामलों में अधिकारियों ने अपराधियों को प्रेशर ग्रुप्स कहकर घटित हिंसा को कम करके आंका और पीड़ितों के खिलाफ मनगढ़ंत मुकदमे भी चलाए।
अबुल सरकार की गिरफ्तारी और उसके बाद की घटनाएं
पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच ने अबुल सरकार को मदारीपुर में एक संगीत कार्यक्रम के दौरान गिरफ्तार किया। उन पर जानबूझकर अशांति फैलाने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया। उन्हें मानिकगंज कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया। दो दिन बाद, तौहीदी जनता समूह से जुड़े एक्टिविस्ट ने ढाका के उत्तरी इलाके में सरकार की रिहाई की मांग के दौरान कलाकारों पर हमला किया, जिसमें चार लोग घायल हुए।
कल्चरल और सिविल एक्टिविस्ट्स की प्रतिक्रिया
कई सांस्कृतिक जानकारों और एक्टिविस्ट्स ने इस स्थिति को धार्मिक फासीवाद के उभरते रूप के रूप में देखा। लेफ्टिस्ट स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन और अन्य सांस्कृतिक समूहों ने ढाका और जहांगीरनगर यूनिवर्सिटी में टॉर्चलाइट मार्च निकालकर इस हिंसा की निंदा की। बाउल कलाकारों ने भी नेशनल प्रेस क्लब के बाहर सरकार की रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
